अंद्रेटा मच्छयाल चौक पर लोगों ने आधी रात को छोड़े टोकन लगे मवेशी

Update: 2023-08-07 10:24 GMT

पंचरुखी: हम अपनी संस्कृति को बचाए रखने की बात हर मंच पर करते हैं पर धरातल में यह सब नजर नहीं आता। विशेष कर पालतू पशु गाय व बैलों की सुरक्षा व पूजा हमारी संस्कृति थी पर आज कहीं खो गई है। धरातल पर हर कोने में पशुधन असहाय विचारता ठोकरे खाते नजर आता है। लोगों के पत्थर व डंडे खाने को मजबूर पशुधन की पीड़ा समझे कौन। सरकार ने प्रयास किए जो नाकाफी हैं। सदन खोले लेकिन वहां उन पशुओं को रखने की जगह न थी। पंचरुखी के साथ अंद्रेटा मच्छयाल चौक में इन दिनों आवारा पशुओं का जमाबड़ा बढ़ता ही जा रहा है। यहां की सडक़ों पर वाहन चालकों को जोखिम उठाकर इनके बीच से वाहनों को निकालना पड़ता है। वहीं बाजारों में राहगीरों को भी इन पशुओं के आगे से जान हथेली पर रखकर अपनी मंजिल की ओर जाना पड़ रहा है। आए दिन अज्ञात लोग यहां दर्जनों पशु आधी रात छोडक़र चले जाते हैं। गत दिन भी असामाजिक अज्ञात लोग एक दर्जन छोटे-बड़े बैल व गाएं छोड़ गए हैं।

जो जी का जंजाल बने हुए हैं। कुछ छोड़े गए पशुओं के कान पर टोकन भी देखे जा सकते हैं। सरकारें गोसदनों को खोलने की बड़ी-बड़ी बातें करती हुई निकल जाती है पर समस्या जस की तस बनी हुई है। आवारा पशु क्षेत्रों के लिए परेशानी बने हुए है जबकि सरकारी तंत्र इस पर कोई भी नीति बनाने में असमर्थ नजर आता है। उनकी नीति कागजों व भाषणों तक ही सीमित होकर रह गई है। दिनप्रतिदिन बढ़ती आवारा पशुओं की संख्या जहां किसानों के फसलें उजाड़ रहे हैं वहीं सडक़ों पर विचरते पशु दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। जहां देखो वहीं पशु ही पशु नजर आते हैं। पशु कहां से कौन छोड़ रहा है इसकी जानकारी किसी को नहीं। सरकार एक ही रट लगाए हुए है कि पंचायतों में गो सदन खोले जाएंगे लेकिन इस बात का प्रावधान नहीं है कि सदनों में चारा इत्यादि कहां से आएगा।

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