शिमला गांव के एक बागवान ने अपने बगीचे में लाल रंग की खुबानी रेड बोलेरो की है तैयार
देश के लोग अब पीली ही नहीं लाल रंग की खुबानी (एप्रिकॉट) का भी स्वाद चख सकेंगे। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई के बखोल गांव के एक बागवान ने अपने बगीचे में लाल रंग की खुबानी रेड बोलेरो तैयार की है,
देश के लोग अब पीली ही नहीं लाल रंग की खुबानी (एप्रिकॉट) का भी स्वाद चख सकेंगे। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई के बखोल गांव के एक बागवान ने अपने बगीचे में लाल रंग की खुबानी रेड बोलेरो तैयार की है, जो कि स्पेन की किस्म है। सामान्य खुबानी के मुकाबले इसका आकार बड़ा है और इसके ताजा रहने की मियाद भी उससे दस दिन अधिक है। लाल रंग की खुबानी रेड बोलेरो का एंटी एजिंग गुण चेहरे से झुर्रियां हटाने में सहायक है और समय से पहले बूढ़ा होने से रोकने में मददगार है। इसमें पाया जाने वाला फीनॉलिक एसिड कैंसर सेल को बढ़ने से रोकता है। यानी यह किस्म कैंसर से लड़ने में सहायक है।
इसमें आयरन, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अलावा एंटीऑक्सीडेंट्स, वीटा कैरोटीन, विटामिन सी और ई भी पाया जाता है। बागवान संजीव चौहान ने बताया कि वर्ष 2020 में उन्होंने इटली से रेड बोलेरो और रुबिल किस्म की खुबानी के पौधे आयात किए थे। पौधे लगाने के दो साल बाद इसमें अब फल लगने लगे हैं। रेड बोलेरो को पूरी तरह तैयार होने में अभी करीब दस दिन का समय और लगेगा। आकार बड़ा होने के कारण मार्केट में इसकी मांग ज्यादा होगी। इसके ताजा रहने की मियाद अधिक होने से इसकी ट्रांसपोर्टेशन आसानी से हो सकेगी। इसका बाहर का छिलका गहरे लाल रंग का है। खुबानी पूरी तरह आर्गेनिक है, क्योंकि इसमें कोई स्प्रे नहीं होती। खुबानी को सुखाकर भी खाया जा सकता है और इसकी गुठली भी मीठी होती है।