भीम शिला के पास पानी के बीच मिला एक तैरता हुआ पत्थर, लोगों में काफी चर्चा का माहौल
पौंग झील बाथू की लड़ी में भीम शिला के पास पानी के बीच एक तैरता हुआ पत्थर मिलने से लोगों में काफी चर्चा का माहौल गर्म है.
पौंग झील बाथू की लड़ी में भीम शिला के पास पानी के बीच एक तैरता हुआ पत्थर मिलने से लोगों में काफी चर्चा का माहौल गर्म है. लोग इसे रामायण काल का पत्थर मान कर चल रहे हैं जिन्हें राम भगवान की सेना समुद्र पर सेतू बांधने के दौरान उपयोग में लाया था. जानकारी के मुताबिक ज्वाली का करडियाल निवासी अविनाश कुमार पौंग झील के पानी को देखने गया था तो उसे पानी के बीच में तैरता हुआ पत्थर मिला. अविनाश कुमार ने पानी के बीच से तैरते हुए उस पत्थर को तुरन्त उठा लिया और घर ले आया.
उसके बाद अविनाश ने इस चमत्कारी पत्थर को लेकर परिजनों को दिखाया. उसके तुरन्त बाद ये ख़बर गांव में आग की तरह फैल गई और फिर क्या था उस चमत्कारी पत्थर के बारे में जिसने भी सुना वो अविनाश के घर पहुंच गया और सभी पत्थर को देखकर आस्था के वशीभूत होकर नतमस्तक होने लगे. इतना ही नहीं अविनाश के भाग्य की भी कई लोगों ने सराहना की.
दरअसल आमतौर पर सभी यह जानते हैं कि पत्थर पानी में डूब जाता है, लेकिन कुछ ऐसे पत्थर हकीकत में आज भी मौजूद हैं जो पानी में डूबते नहीं बल्कि उसकी सतह पर तैरते रहते हैं और जो लोग सनातन संस्कृति में विश्वास रखते हैं वो इन पत्थरों को रामसेतू में प्रयोग हुये पत्थर मानते हैं.
काबिलेगौर है कि रामायणकाल के मुताबिक त्रेता युग में जब भगवान रामचन्द्र ने लंका के राजा रावण से युद्ध के लिये चढ़ाई करने की योजना बनाई तो उनके रास्ते में 30 मील यानी 48 किलोमीटर की थी. अब उतने बाद समुद्र में पुल कैसे बनाया जाये तो बाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास कृत रामायण के मुताबिक भगवान राम ने नल नील के सहयोग से पत्थरों पर अपना नाम लिखवाकर डलवाया और वो पत्थर पानी में तैरने लगे, यही वजह है कि आज भी जब इस तरह का कोई पत्थर मिलता है तो लोग आस्था के सागर में डुबकी लगाने शुरू हो जाते हैं.