कांगड़ा की बुजुर्ग महिला ने किए अंग दान, टांडा से भेजे PGI चंडीगढ़

पहले जहां अकाल मौत हो जाने के बाद हिमाचल जैसी स्टेट में अंगों का कोई महत्व नहीं समझा जाता था

Update: 2022-07-02 11:39 GMT

पहले जहां अकाल मौत हो जाने के बाद हिमाचल जैसी स्टेट में अंगों का कोई महत्व नहीं समझा जाता था और मौत के तुरन्त बाद बॉडी को पंचतत्वों में समाहित कर दिया जाता था. अब हिमाचल प्रदेश में मेडिकल संस्थानों की तरक्की और स्टाफ की सक्रियता से यहां न केवल अंगदान होने लगा है, बल्कि दूसरे रोगियों में इसका सफल प्रत्यारोपण भी किया जाने लगा है. ताज़ा मामला कांगड़ा के मेडिकल कॉलेज टाण्डा का है. यहां बीते शुक्रवार को एक 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला के गुर्दे का सफल प्रत्यारोपण किया गया. महिला हाल ही में सीढ़ियों से गिर गई थी और बाद में अस्पताल में उसे ब्रेन डेड घोषित किया गया.

काबिलेगौर है कि प्रदेश के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में कांगड़ा के सकोट गांव की एक बुजुर्ग महिला के अंगदान किए गए. राज्य में टीएमसी ही इकलौता मेडिकल कॉलेज हैं जहां पर अंगदान कर सकते हैं. मार्च 2022 में यहां पर अंगदान करने का पहला सफल ऑपरेशन डॉ राकेश चौहान की अगुवाई में किया गया.
किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ राकेश चौहान
डॉक्टरों की काबिलियत को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक महीना पहले मेडिकल कॉलेज टांडा में गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग की स्थापना कर यहां पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की है. वृद्ध महिला 75 वर्षीय धर्मी देवी एक सप्ताह से मेडिकल कॉलेज टांडा में उपचाराधीन थी और ब्रेन डेड हो चुकी थी. किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ राकेश चौहान की टीम ने महिला के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया.
महिला के बेटे प्रीतम ने परिजनों के साथ चर्चा कर अपनी माता के अंगदान करने की सहमति कॉलेज प्रशासन को दी. शुक्रवार सुबह आठ बजे पीजीआई से आए दो विशेषज्ञ डॉक्टर दीपेश और डॉक्टर साहिल की मौजूदगी में अंगदान के सफल ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई थी.
किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ राकेश चौहान ने बताया कि गुरुवार रात को रोगी के शरीर के विभिन्न अंगों के सैंपल वॉल्वो बस के माध्यम से कांगड़ा से चंडीगढ़ भेजे गए. जो अंग यहां से निकाले गए हैं, उन्हें भी बाय एयर पीजीआई चंडीगढ़ भेज दिया गया है. डॉ चौहान ने कहा टांडा में अंग प्रत्यारोपित करने की विधि अभी शुरू नहीं हो पाई है. इसके चलते यहां से निकाले गए अंगों को पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया है.
पीजीआई चंडीगढ़ के गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग के अध्यक्ष डॉ आशीष शर्मा का टीएमसी कॉलेज प्रशासन को भरपूर सहयोग रहता है. डॉ चौहान ने बताया कि टांडा में अंग प्रत्यारोपण का यह दूसरा सफल ऑपरेशन हुआ है. उन्होंने प्रदेश की जनता से अंगदान करने की अपील की, ताकि उनके अंगों से किसी दूसरे व्यक्ति को नया जीवन मिल सके


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