हरियाणा | यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स का करियर दांव पर लग गया था। उन्हें उम्मीद थी कि हालात सुधरने के बाद वे आगे की राह पकड़ेंगे। लेकिन अब वहां से वापस आए स्टूडेंट्स की जीवन की राह ही बदल गई है। ज्यादा नुकसान उन इलाकों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का हुआ है, जाे वाॅर एरिया स्थित यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे थे। कुछ स्टूडेंट्स ने भारत वापस आकर नए सिरे से अपना करियर शुरू कर दिया है, जबकि कुछ स्टूडेंट्स ने ताे लाइन ही बदल दी है।
वाॅर के चलते चुनिंदा स्टूडेंट्स ही वहां की यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ स्टूडेंट्स के पेरेंट्स ने अपने बच्चों का भविष्य खराब न हाे, इसलिए उन्हें किसी और कंट्री में पढ़ाई करने के लिए भेज दिया है। मेडिकल लाइन छाेड़कर अन्य लाइन में अपना फ्यूचर तलाश रहे हैं। जिन स्टूडेंट्स ने वहां से पढ़ाई छाेड़ने के बाद वापस भारत में आकर नीट का एग्जाम दिया, उनके नंबर कम आए। उनके पेरेंट्स का बजट कम हाेने की वजह से वे कहीं दाखिला नहीं ले सके।
एमबीबीएस करने के बावजूद भी ये स्टूडेंट्स बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, या फिर नर्सिंग की तरफ जाने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ बच्चे ताे बी-डी फार्मा डिप्लाेमा काेर्स कर रहे हैं। इन काेर्सेज काे करने के बाद वह मेडिकल की पढ़ाई ताे करेंगे ही लेकिन जाे वह चाहते थे उस फील्ड में नहीं जा सकेंगे। जिसका मलाल उन्हें व उनके पेरेंट्स काे ताउम्र रहेगा।
इसके बावजूद भी इन बच्चाें के पेरेंट्स काे इस बात की खुशी है कि उनके बच्चे सही सलामत अपने वतन वापस आ गए। इनमें भी सबसे ज्यादा नुकसान उन स्टूडेंट्स का हुआ है जिनके परेंट्स इस जंग के बाद उन्हाेंने अपने बच्चाें की पढ़ाई ही छुड़वा दी। इनमें कुछ अपने पेरेंट्स के पुश्तेनी काम में हाथ बंटाने लगे हैं, कुछ छाेटी-माेटी जाॅब कर रहे हैं।