जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाणा में शिक्षकों की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी के तहत बनाया गया एमआईएस (मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम) पोर्टल हांफ गया है। पोर्टल सही काम नहीं कर रहा। इससे अब तक 58 प्रतिशत शिक्षक ऐसे हैं, जो अपना डाटा अपडेट नहीं कर पाए हैं। जिन 42 प्रतिशत शिक्षकों का डाटा अपलोड हुआ है, उनमें से 30 प्रतिशत ने पर्सनल व सर्विस प्रोफाइल में बदलाव करवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया।
इन शिक्षकों ने अपना आवेदन भी पोर्टल में तकनीकी खामी के कारण वापस लिया। उनका कहना है कि जब वे पर्सनल प्रोफाइल को अपडेट कर रहे हैं तो उनकी रिक्वेस्ट प्रिंसिपल के पोर्टल पर शो नहीं होती। ऐसे में उन्हें डर था कि कहीं सॉफ्टवेयर उन्हें च्वाइस के स्टेशन देने की बजाय 'ऐनी-वेयर' की ऑप्शन में न डाल दे।स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से इस मामले में बरती जा रही लापरवाही से भी शिक्षक परेशान हैं। स्थिति यह है कि स्कूल शिक्षा के निदेशकों ने पहली जुलाई को सभी जिला शिक्षा व मौलिक शिक्षा अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक की थी। बैठक में उन्हें कहा गया था कि 15 जुलाई तक डाटा अपडेट और वेरिफिकेशन का काम पूरा किया जाए। पहली जुलाई को बैठक में हुई बातचीत के 10 दिन बाद यानी 11 जुलाई को लिखित में सभी जिला शिक्षा व मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए। हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन (हसला) ने करीब दो सप्ताह पहले विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। जिस तरह से ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को लेकर ढिलाई बरती जा रही है, उसे देखते हुए नहीं लगता कि शिक्षा विभाग समय पर शिक्षकों के ट्रांसफर कर पाएगा। 2016 में सरकार ने ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को लागू किया था। उसके बाद से केवल तीन बार 2016- 2017 और 2019 में ही ऑनलाइन ट्रांसफर हो पाए।पिछले 3 साल से विभाग ट्रांसफर ड्राइव नहीं चला पाया। वर्तमान में चल रही प्रक्रिया में पीजीटी, टीजीटी, एसएसए, हेडमास्टर व प्रिंसिपल को ही शामिल किया है। जेबीटी शिक्षक इस चरण में शामिल नहीं हैं। जेबीटी शिक्षकों को सरकार अब तक स्थाई जिले आवंटित नहीं कर पाई है। 11 जुलाई को निदेशालय से निर्देश जारी करके कहा गया कि शिक्षक ही अपना पर्सनल प्रोफाइनल अपडेट करेंगे। प्रिंसिपल द्वारा उसे वेरिफाई किया जाएगा। इसी तरह से सर्विस प्रोफाइल को वेरिफाई करने के अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी को दिए गए। सूत्रों का कहना है कि पहले इस सॉफ्टवेयर को हेंडल करने वाली प्राइवेट कंपनी अब यह काम छोड़ चुकी है। बताते हैं कि किसी नये ठेकेदार को यह काम दिया गया है, लेकिन उसके पास पूरा डाटा उपलब्ध नहीं है। तकनीकी खामियों के चलते स्कूल निदेशालय ने अब तक डाटा अपलोड को लेकर नयी तारीख पर अधिकारिक फैसला नहीं किया है।
दंपति शिक्षक के मिलन में बाधक
उन महिला शिक्षकों के सामने दिक्कत आ रही हैं, जिनके पति भी सरकारी सेवाओं में हैं। कपल केस होने पर पांच अतिरिक्त अंक मिलते हैं। इन अंकों का फायदा यह है कि महिला शिक्षकों को उनका मनचाहा स्टेशन मिलने में मदद मिलती है। महिलाएं जब कपल केस की एंट्री करती हैं तो पोर्टल में वह एंट्री ही नहीं हो पा रही। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों के लिए पॉलिसी में 20 से 80 तक अंकों का प्रावधान है, लेकिन उनकी भी एंट्री नहीं हो रही।
सभी के लिए अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने पसर्नल या सर्विस प्रोफाइल अपडेट करना हर शिक्षक के लिए अनिवार्य किया हुआ है। शिक्षकों का कहना है कि जब अध्यापकों की प्रोफाइल सही है तो फिर उन्हें वेरिफाई करवाने को क्यों कहा जा रहा है। इससे समय की भी बर्बादी हो रही है और सॉफ्टवेयर पर भी बोझ बढ़ रहा है।