विष्कुंभ व प्रीति योग के अद्भुत संयोग में सावन आज से हुआ शुरू

Update: 2022-07-14 11:33 GMT

हरयाणा न्यूज़: इस बार सावन माह की शुरूआत वीरवार को विष्कुंभ और प्रीति योग के अद्भुत संयोग में होने जा रही है। वहीं सावन माह का पहला सोमवार भी शुभ योग के साथ आएगा। श्रावण माह को भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना गया है। ऐसे में शिव भक्त सावन महीने में सोमवार के दिन व्रत रखते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। इसके साथ ही शिवभक्त कावड यात्रा में भी शामिल होते हैं और हरिद्वार से गंगा जल ला कर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। सावन माह की महत्ता को देखते हुए शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषक को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए वालेंटियरों की डयूटी लगा दी गई है और साथ ही किसी श्रद्धालु को जल चढ़ाने में परेशानी न हो, इसका विशेष ख्याल रखा गया है।

सावन माह में होंगे चार सोमवार: इस बार सावन माह 14 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसमें चार सोमवार आ रहे हैं। सोमवार के दिन विधिवत शिव पूजन बहुत फलदायक माना जाता है। इस साल सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ रहा है। इसके बाद दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार एक अगस्त व चौथा व अंतिम सोमवार आठ अगस्त को पड़ रहा है। सावन महीना 12 अगस्त को यानी सावन पूर्णिमा के दिन समाप्त हो जाएगा।

शुभ योग के साथ आएगा सावन माह का पहला सोमवार: जींद जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि सावन माह का पहला सोमवार 18 जुलाई को है और इस दिन रवि नामक योग पड़ रहा है। शास्त्रों में रवि योग के बारे में बताया गया है कि इस योग में किसी मंत्र की साधना अधिक फलदायी होती है। इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव पुराण का पाठ बेहद लाभकारी रहेगा। साथ ही रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन पंचमी तिथि होने की वजह से कुछ जगहों पर नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जाएगा। यानी इस दिन भगवान शिव के साथ उनके सेवक नाग की भी पूजा होगी।

भगवान शिव को ये चीजें करें अर्पित: जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव को सावन माह में पूजा के दौरान धतूरा, बेलपत्र, कच्चा दूध, गंगाजल, मिठाई आदि काले तिल और गुड़ आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। सावन माह में श्रद्धालु सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान की सफाई करें। शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें। तिल के तेल का दीया प्र'वलित करें। फल व फूल अर्पित करें। ऊं नम:शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।

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