कार्यालस का सारा ऑनलाइन डाटा लेकर भागी महिला कर्मचारी
ऑफिस के सुपरिटेंडेंट सतपाल गर्ग ने आरटीआई में लिखित में जवाब दिया कि इस महिला कर्मचारी ने मामले में खुलासा होने के बाद आफिस छोड़ दिया और उसके बाद फोन उठाना बंद कर दिया है। इस महिला कर्मचारी के पास आफिस का कंप्यूटर सिस्टम में दर्ज सारा रिकॉर्ड है। सुपरीटेंडेंट सतपाल गर्ग के मुताबिक वह महिला अब कार्यालय में नहीं आ रही है। आरटीआई का जवाब आने के बाद वीरवार सुबह केसी गोयल ने सतपाल गर्ग से फोन पर संपर्क किया, तो बताया कि एक निशु नामक महिला कर्मचारी काउंसिल कार्यालय में चेयरमैन धनेश अदलखा के प्राइवेट तौर कार्य कर रही थी। केसी गोयल के पास सतपाल गर्ग से बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग भी है, जिसमें वह निशु का बार-बार नाम लेकर उसे धनेश अदलखा की पीए बता रहे हैं। सतपाल गर्ग ने कहा कि कार्यालय में काम करने वाली प्राइवेट महिला के पास ही ऑफिस का सारा ऑनलाइन रिकार्ड रहता था। डायरी डिस्पैच के अलावा ऑफिस के सभी रिकार्ड, ईमेल आईडी का पासवर्ड भी उसी महिला के पास है।
भ्रष्टाचार के लिए बदनाम फार्मेसी काउंसिल में यह कैसा खेल
काउंसिल के सुपरिंटेंडेंट सतपाल गर्ग ने लिखा है कि वह खुद भी छुट्टी पर थे, क्योंकि वह स्वास्थ्य कारणों से आफिस नहीं आ पा रहे थे। आरटीआई जैसे अहम दस्तावेज में लिखा गया कि पूरा काउंसिल कार्यालय सस्पेंड हो गया है, जबकि काउंसिल के तथाकथित कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं और आज भी कार्यालय में आ रहे है। केसी गोयल ने आशंका जताई है कि काउंसिल में कई फाइलों को इधर से उधर करने और जलाने की कोशिश की जा सकती है, इसलिए तुरंत प्रभाव से काउंसिल कार्यालय प्रशासनिक तौर पर टेकओवर करने की भी आवश्यकता है।
पैसों के बदले फार्मेसी सर्टिफिकेट बनाने के मामले में चेयरमैन अब भी फरार
केसी गोयल ने मामले में विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को लिखे पत्र में बताया कि हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल से 6 मार्च 2019 के बाद जो भी रजिस्ट्रेशन जारी की गई, उनमें अधिकांश रजिस्ट्रेशन 70 से लेकर 80 हजार रुपये लेकर जारी की गई। सभी प्रधान धनेश अदलखा और रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा के हस्ताक्षरों से ही जारी हुई हैं। रिश्वत वसूली के लिए दलालों को रखा गया था और रिश्वत का पैसा आने के बाद फार्मासिस्टों के लाइसेंस इन दलालों को सौंप दिया जाते थे, लेकिन अभी तक केवल एक दलाल और उपप्रधान की ही गिरफ्तारी हुई है। कई दलाल अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं। मामले में धनेश अदलखा और राजकुमार वर्मा की गिरफ्तारी सबसे अहम हैं। केसी गोयल ने विजिलेंस से मांग की है कि फाइलों के कागजात निकालकर फार्मासिस्टों को रिश्वत देने के लिए मजबूर करते थे। रिश्वत का पैसा धनेश अदलखा जोकि अवैध तौर पर चेयरमैन पद पर कब्जा करके बैठा था, उनको दिया जाता था और इस काम में धनेश अदलखा के साथ राजकुमार वर्मा मदद करते थे। अवैध तौर पर नियुक्त कर्मचारी जो काउंसिल में कार्यरत हैं, उन्हें भी एफआईआर नंबर 14 हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो में आरोपी बनाकर काउंसिल का मुकम्मल रिकार्ड बरामद किया जाए।