गुलाबी सुंडी ने मचाया कहर, कपास की फसल को फुल में घुसकर अंदर से फूल को खाती हैं

Update: 2022-07-22 12:13 GMT

हरयाणा न्यूज़: कपास की फसल में गुलाबी सुंडी एक बार फिर किसानों की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर रही है। कई गांवों में कपास की फसल में अभी से गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। गुलाबी सुंडी के प्रकोप के चलते कई किसानों की कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। इसलिए किसान अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं। लगातार दूसरी बार गुलाबी सुंडी के प्रकोप ने किसानों की कमर तोड़ दी है। जिसके चलते किसान अब कपास की खेती को घाटे का सौदा मान रहे हैं।

किसानों का कहना है कि इस बार कपास की फसल के लिए बहुत मेहनत की थी। बिजाई होने के बाद उसकी निराई गुड़ाई और कीटनाशक का छिड़काव का काम किया जाता है। जिस दिन कपास की फसल की बिजाई की जाती है और जिस समय कटाई होती है, तब तक लगातार स्प्रे व अन्य कार्य किया जाता है। इतनी मेहनत करने के बाद अब जब कपास खिलने का समय आया तो उसमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप हो जाने का कारण उनकी मेहनत बर्बाद हो गई। यह गुलाबी सुंडी टिंडे के अंदर घुसकर उसको खिलने नहीं देती और उसको खराब कर देती है। फिर वह टिंडा टूट कर नीचे जमीन पर गिर जाता है। मजबूरी में उनको अपनी फसल को अपने हाथों से नष्ट करना पड़ रहा है।

किसानों को हो रहा आर्थिक नुकसान: पिछले वर्ष भी किसानों को कपास की बंपर पैदावार की उम्मीद थी। तब भी बारिश और गुलाबी सुंडी ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया था। यहीं नहीं इसके बाद किसानों ने गेहूं की फसल पर उम्मीद लगाई थी। परंतु गेहूं की फसल के समय भी असमय की बरसात व अचानक हुए मौसम परिवर्तन के कारण गेहूं की पैदावार कम हुई थी। किसानों का कहना है कि अब खेती घाटे का सौदा बन रही है। क्योंकि किसानों को केवल फसल से ही आमदनी होती है और अब हर बार फसल में बीमारियां आने के कारण वे कर्जदार हो रहे हैं। फसल की बुआई के समय से कटाई तक फसल पर किटनाशक दवाईंयों और अन्य खर्च करना पड़ता है। परंतु जिस समय उनकी फसल पककर तैयार हो जाती है उस समय या तो मौसम की मार या गुलाबी सुंडी या फिर बारिश के कारण हुए जलभराव से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है।

टिंडे पूरी तरह से खुल नहीं पाते: गुलाबी सुंडी किसानों की फसल बर्बाद कर देती है। जिस कारण कपास में आने वाले टिंडे पूरी तरह से खुल नहीं पाते, जिससे किसान की पैदावार काफी कम हो जाती है। गुलाबी सुंडी का प्रकोप कपास की बिजाई के 60 दिन के बाद देखा जा सकता है। कृषि विभाग की तरफ से किसानों को विशेषज्ञों से राय लेकर कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही हैं। ताकि किसान की फसल को बचाने का काम किया जा सके।

कैसे पहुंचाती है फसलों को नुकसान: गुलाबी सुंडी पहले कपास की फसल में पहले कच्ची कोपल को खाती है। उसके बाद फूल पर पहुंचकर फुल में घुसकर अंदर से फूल को खाती है। जिसके बाद फसल के टिण्डों में घुसकर अंदर से खाती है। जिसके कारण टिंडे खुल नहीं पाते है।

किसान इस समय कर सकते हैं रसायनों का छिड़काव: फसल की बिजाई के 40 से 50 दिन के पश्चात दो फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं तथा इनमें पांच से आठ पतंगे प्रति ट्रैप लगातार तीन दिन तक आने पर। बीटी नरमा के पौधे पर लगे हुए 100 फूलों में से 5 -10 फूल गुलाब की तरह दिखाई देने पर व 20 हरे टिण्डों को खोलने पर 1232 में सफेद या गुलाबी लारवा की सुंडी दिखाई देने परनीम आधारित दवाई से करें कीटों का उपचार। किसान सभी तकनीक इस्तेमाल करके कीट को प्रबंधित करें। शुरूआत के 60 दिन तक प्रकृति में कीड़ों के प्राकृतिक शत्रु सक्रिय रहते हैं। इस समय किसी रसायन का प्रयोग ना करें। फिर भी ज्यादा आवश्यक हो जाए तो नीम आधारित दवाई का स्प्रे करें। फसल की 60 से 120 दिन की अवस्था में अगर कीट का आक्रमण होता है तो प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 500 से 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ या इवरमेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी 100 ग्राम या क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 500 एमएल या थायोडीकार्ब 225 से 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 121 से 150 दिन की फसल अवस्था पर अगर आक्रमण होता है तो ईथीयोन 20ईसी 800 मिलीलीटर या फैनवैलरेट 20 ईसी 100 से 150 मिलीलीटर या डेल्टामथ्रीन 10 ईसी 200-250 एमएल साइपरमैथरीन 10 ईसी 200 सीसी से 250 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। किसानों को सलाह दी जाती है कि किन्ही दो रसायनों को कभी न मिलाकर छिड़कें।

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