हरयाणा न्यूज़: सरकार द्वारा कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को बसों में मुफ्त सफर का तोहफा दिया हुआ है। अभी कॉलेजों में सत्र 2021-22 चल रहा है, जबकि पास धारक छात्राओं की पास की समय अवधि 30 जून को समाप्त हो चुकी है। कॉलेजों द्वारा छात्राओं को सत्यापित पास दिए गए हैं, लेकिन परमिट बस संचालक ने कॉलेज द्वारा सत्यापित मान्य को मान्य करने से इंकार कर रहे हैं। आए दिन बसों में पास को लेकर बेटियों के साथ परमिट बस परिचालक द्वारा बदसूलकी की घटनाएं सामने आती हैं। वहीं रोडवेज विभाग नियमों का हवाला देकर अभी नए पास नहीं बनवा सकता है।
बता दें कि रोडवेज एक जुलाई से 30 जून तक एक साल का तक पास बनाती हैं। इस बीच कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं एक साल तक बसों में मुफ्त सफर करती हैं। इस दौरान उनका एक सत्र भी निकल जाता था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण पिछले साल कॉलेजों में दाखिला देरी से शुरू हुए थे। अभी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का सत्र 2021-22 पूरा नहीं हुआ है। इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय से जुड़े रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ को कॉलेजों में 14 जुलाई से परीक्षाएं शुरू होनी है। कुछ विषयों की परीक्षाएं सितंबर तक चलेंगी। पास की समयवधि पूरी होने के बाद कॉलेज मुखियाओं द्वारा छात्राओं को स्वयं सत्यापित पास दिया गया है, लेकिन परमिट बस संचालक सत्यापित पास को मानने से इंकार कर रहे है।
रोडवेज विभाग भी नहीं बना सकता है पास: रोडवेज विभाग द्वारा कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के छहमाही या फिर एक साल के लिए पास बनाए जाते हैं, लेकिन अभी केवल यह सत्र पूरा होने के करीब दो माह का समय बचा है। वहीं अगर रोडवेज विभाग छह माह के पास बना भी देता है तो जो छात्राएं फाईनल ईयर में पढ़ रही हैं, उनकी पढ़ाई केवल दो माह में पूरी हो जाएंगी। ऐसे छात्राएं कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं शिक्षा की बजाय अपने निजी काम में पास का इस्तेमाल कर सकती है।
निजी बसों में लेनी पड़ती है टिकट: सरकार द्वारा सभी छात्राओं को बस पास की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है जो निजी व सरकारी बसों में मान्य होता है। निजी बस परिचालक मनमानी करते हैं। यदि कोई छात्रा टिकट न ले तो उसको रास्ते में ही उतार देते हैं। -नीरू, छात्रा।
निजी बस चालक करते बदतमीजी से बात : निजी बस परिचालक छात्राओं के साथ बदतमीजी से पेश आते है। जिस छात्रा ने बस पास बनवाया हुआ है यदि वो निजी बसों में टिकट ना ले तो परिचालक उनसे लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। छात्राओं को खाली सीट पर भी नहीं बैठने देते हैं। -दीपिका कुमारी।
पूरे सफर तक करते है झगड़ा : बस पास की सुविधाएं होने के बावजूद भी टिकट लेनी पड़ती है। यदि न ले तो पूरे सफर तक चालक व परिचालक झगड़ते रहते हैं। कॉलेज द्वारा दिए गए पास को मान्य करने से इंकार करते है। -सकीना, छात्रा
इंसानियत तो बची ही नहीं : निजी बस चालक छात्राओं के साथ ऐसा व्यवहार करते है कि कोई इंसानियत तो बची ही नहीं । वैसे तो सरकार ने विद्यार्थी बस पास की दूरी सीमा 60 किमी से बढ़ाकर 150 किमी कर बड़ी राहत देने के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। निजी बसों में हरदिन छात्राओं से अभद्रता की जाती है। -अनमोल छात्रा।
कॉलेज द्वारा बनाया गया पास सभी बसों में मान्य है। परमिट बस मान्य है। कॉलेज की छात्राओं को पास को लेकर कोई परेशानी आएंगी। सभी चालकों को इस बारे में अवगत कराया जाएगा। - यशबीर, प्रधान प्राइवेट बस एसोसिएशन, महेंद्रगढ़।
यह सत्र पूरा हो चुका है। इसलिए पास नहीं बनाए जा सकते है। परमिट बसों में रोडवेज बसों वाले सभी नियम लागू होते है। अगर परमिट बस परिचालक पास को लेकर आनाकानी करते है तो छात्राओं को शिकायत देनी चाहिए। - नवीन शर्मा, रोडवेज महाप्रबंधक।