हरयाणा में मंकी पॉक्स के खतरे को लेकर जारी हुआ आदेश, चार विभागों के चिकित्सकों की टीम बनाई गई

Update: 2022-07-28 10:26 GMT

रोहतक न्यूज़: पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय मंकीपॉक्स पर अलर्ट हो गया है। मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाया जाएगा। इसके अलावा माइक्रोबॉयोलोजी विभाग, मेडिसन, शिशु रोग एवं कम्युनिटी मेडिसन विभाग के चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। स्वर्ण जयंति सभागार में कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना की अध्यक्षता में मंकीपॉक्स वायरस को लेकर मिटिंग हुई। इसमें डॉ. अनिता सक्सेना ने मंकीपॉक्स से निपटने से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने बताया कि कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना ने आदेश जारी कर दिए हैं। चर्म रोग विभागाध्यक्ष को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि यदि कोई मंकीपॉक्स का मरीज आता है तो उसका सैंपल कैसे लिया जाए, इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी और रिकोर्ड कोविड कंट्रोल रूम में रखा जाएगा।

डॉ. अर्पणा परमार ने बताया कि मंकीपॉक्स एक डीएनए वायरस है। यह अलग-अलग स्टेज में फैलता है। इसका 5 से 21 दिन का इंक्युबेशन पीरियड होता है। डॉ. अर्पणा ने बताया कि 1 से 5 दिन बुखार आता है, रेसिज चिकनपॉक्स जैसे निशान (माता आना) होते हैं और गले में गलैंड बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि रेशेज पर पपड़ी करीब 2 से 4 हफ्ते तक रहती है और तबतक मरीज को आइसोलेशन में रखा जाता है।

मरीज के संपर्क में आने से फैलता है: डॉ.अर्पणा परमार ने बताया कि यह किसी मरीज के नजदीकी संपर्क में आने से, कपड़ों व चमड़ी को छूने से फैलता है। उन्होंने बताया कि अभी इसकी जांच पुणे लैब में की जा रही है और अभी इसके तीन मरीज केरल व एक मरीज दिल्ली में मिला है।

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