एनजीटी की गाइडलाइन ने पानीपत के कारोबार को शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया: प्रमोद विज

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Update: 2022-10-16 17:23 GMT
चंडीगढ़। पानीपत एक ऐसा नगर जिसकी पहचान केवल प्रदेश या देश में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर लंबे समय तक एक हैंडलूम नगरी के रूप में स्थापित रही। समय के परिवर्तन और मांग के अनुसार यहां के व्यापारियों ने अपने को बदला और अपनी खूब मेहनत के दम पर पानीपत को एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री हब के रूप में अपने को खड़ा करने में कामयाबी हासिल की। रोजाना सैकड़ों करोड रुपए का योगदान प्रदेश और देश के खजाने में केवल पानीपत का रहना कोई साधारण बात नहीं। लेकिन एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) की गाइडलाइन के बाद प्रशासन के सख्त रवैया ने यहां के कारोबार को 100 से शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया है। एनजीटी द्वारा एनसीआर क्षेत्र में जनरेटर और बॉयलर पर बदले गए नियमों ने पानीपत के उद्योगों को ना केवल अस्त-व्यस्त किया है बल्कि पूरी तरह से उद्योग धंधों पर ताले लग गए हैं। जिस कारण न केवल उद्योगपति बल्कि इससे जुड़े अन्य लाखों लोग बेरोजगार होकर घर बैठ गए हैं।
इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर पानीपत शहरी विधायक प्रमोद विज लगातार उद्योगपतियों और व्यापारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आ रहे हैं और उनके नेतृत्व में उद्योग पतियों का एक डेलिगेशन प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी अपनी गुहार लगा चुका है। इस विषय पर प्रमोद विज ने इस गंभीर समस्या को बयां करते हुए पानीपत को एनसीआर से बाहर करने की मांग की है। प्रमोद विज ने बताया कि एनजीटी गाइडलाइन के मुताबिक बॉयलर को पीएनजी पर शिफ्ट करना होगा। लेकिन भारतवर्ष में इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं कि 6 महीने या एक साल में सभी बॉयलर को बदला जा सके। इसमें ना केवल बड़ी मात्रा में पैसे खर्च होंगे, बल्कि एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक एक्यू लेवल मात्र 80 तक सुनिश्चित किया गया है, इसे भी 300 तक मान्य करने की प्रार्थना है। विज ने बताया कि 1 अक्टूबर से पानीपत की पूरी इंडस्ट्री- डाई हाउस बंद है। जिससे ना केवल उद्योगपति व्यापारी प्रभावित हैं बल्कि इनमें काम करने वाले या इनसे जुड़े हुए 700000 वर्कर प्रभावित हैं। फैक्ट्रियों में माल नहीं बन पा रहा लेकिन तनख्वाह देनी पड़ रही है, इसलिए फैक्ट्रियों को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है।
पीपी मॉडल के कॉमन बॉयलर के स्टेटस की जानकारी ली थी मुख्यमंत्री ने प्रमोद विज ने बताया कि इस मामले को लेकर वह स्वयं जिले के उद्योगपतियों के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं और मुख्यमंत्री भी इस समस्या को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव के सामने रख चुके हैं। हमें जल्द एक समाधान की उम्मीद है। हमने गुहार लगाई है कि 1 अक्टूबर से हमारी इंडस्ट्री बंद हैं। हमें बॉयलरों में बदलाव के लिए कम से कम एक से डेढ़ साल का समय और दिया जाए। हालांकि इस बात के धन्यवादी हैं कि वह इस पर गहन चिंतन भी कर रहे हैं। पीपी मॉडल के कॉमन बॉयलर के स्टेटस बारे उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली थी। सरकार पूरी संजीदगी से आगे बढ़ रही है। अगर कॉमन बॉयलर लग जाता है तो सभी फैक्ट्रियों में बॉयलर की समस्या समाप्त हो जाएगी। सभी इंडस्ट्री फिर से चलेंगी। इसके साथ-साथ एनजीटी ने घंटे से अधिक जनरेटर चलने पर रोक लगाई है। हालांकि प्रदेश में आज लाइट कोई समस्या नहीं है। लेकिन कहीं मेंटेनेंस या फाल्ट की वजह से हमें कई बार जनरेटर चलाने पढ़ते हैं। लेकिन एनजीटी की गाइड लाइन में ऐसा करना गलत है। भारी जुर्माने और सजा का प्रावधान है। इसलिए एक्सपोर्ट एसोसिएशन-डाई हाउस एसोसिएशन और इंडस्ट्री सेक्टर के लोगों के साथ मैंने मुख्यमंत्री से इमरजेंसी में जनरेटर चलाने के लिए आग्रह किया था। मुझे यकीन है कि इसका कोई समाधान निकलेगा।
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