पेड लीव और पेंशन सहित मिलने जा रहे कई फायदे, जानिए किनको होगा फ़ायदा

Update: 2022-08-28 08:11 GMT

हरयाणा न्यूज़: भारत में रेगुलर सर्विस करने वाले कर्मचारियों के लिए तो सरकार ने कई सुरक्षित और लाभकारिक योजनाएं चलाती है लेकिन गिग वर्कर्स यानि की कन्ट्रैक्ट या थोड़े समय अवधि के लिए अलग-अलग तरह के काम करने वाले लोगों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं थी। अब सरकार गिग वर्कर के लिए भी नियम बनाने जा रही हैं। संगठित सेक्टर के कर्मचारियों की तरह अब इन वर्कर को भी इलाज, पेड छुट्टी, निर्धारित काम के घंटे, पेंशन जैसी सुविधाएं देने के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। गीग वर्करों को सुविधाओं से जोड़ने के लिए सभी राज्यों के श्रम मंत्रियों की बैठक में चर्चा की गई, बैठक में सभी राज्यों ने इस मसले पर सकारात्मक रुख दिखाया। नीति आयोग के अनुसार फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में देश भर में 77 लाख गिग वर्कर्स थे। वर्ष 2029-30 तक इनकी संख्या 2.35 करोड़ तक पहुचने का अनुमान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में आयोजित श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में गिग वर्कर्स को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की बात पर बल दिया था। श्रम मंत्रालय के विजन 2047 के अनुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के गिग वर्कर्स के लिए काम के घंटे और उनकी कार्य स्थिति को तय किया जाएगा। विजन में इनके आय को लेकर भी नियम बनाने की बात कहीं गई है। इन वर्कर को व्यवसायिक सुरक्षा के साथ स्वास्थ की भी सुरक्षा दी जाएगी। केन्द्र सरकार ने तय किया है कि गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड का सृजन किया जाएगा। इस सुरक्षा फंड में केंद्र व राज्य दोनों सरकारों का योगदान रहेगा। कारपोरेट कंपनियां को भी सामाजिक दायित्व के तहत फंड में योगदान देने को प्रोत्साहित किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने गिग वर्कर्स की भलाई के लिए केंद्रीय श्रम सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। अब तक इस कमेटी की कुल पांच बैठक हो चुकी है।

वे कर्मचारी जो रिटेल स्टोर, मैन्यूफैक्चरिंग एवं अन्य गैर पारंपरिक क्षेत्र में कैजुअल तौर पर काम करते हैं, उन्हें ऑफलाइन गिग वर्कर्स कहते हैं। वहीं, जो लोग ओला, उबर, जोमैटो जैसे तमाम सर्विस प्लेटफार्म के लिए काम करते हैं, उन्हें ऑनलाइन गिग वर्कर्स कहते हैं। अधिकतर गिग वर्कर्स यूथ ही होते हैं। ये लोग अपनी सुविधा के मुताबिक फ्लेक्सिबल वर्क सिस्टम के तरीके से काम करना चाहते हैं।

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