अन्य राज्यों की तरह हरयाणा के बावल और कसौला क्षेत्र में जमकर हो रहा हैं अवैध खनन का काम
क्राइम न्यूज़: बावल और कसौला क्षेत्र में इस समय खनन माफिया पूरी तरह अधिकारियों पर हावी नजर आ रहा है। खेतों से मिट्टी का अंधाधुंध खनन हो रहा है, जिसे रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। खनन माफिया कुछ समय पूर्व एक पुलिस अधिकारी का अपहरण और मारपीट की वारदात को भी अंजाम दे चुका है। कई इलाकों में खनन माफिया का खौफ इस कदर हावी है कि अधिकारी उन तक पहुंचने में भी हिचक महसूस कर रहे हैं। सरकारी विकास कार्यों से लेकर ईंट भट्टों तक पर मिट्टी की जबरदस्त डिमांड है। डिमांड अधिक होने के कारण महंगे दामों पर मिट्टी की आपूर्ति करने के लिए खनन माफिया पूरी तरह एक्टिव होकर काम कर रहा है। उनके निशाने पर किसानों के खेत हैं। किसानों को मिट्टी खुदाई की ऐवज में मामूली दाम देकर खनन माफिया मिट्टी की खुदाई करता है। इसके बाद सरकारी निर्माण कार्यों का ठेका लेने वाले ठेकेदारों को महंगे दामों पर मिट्टी बेची जाती है, जिससे खनन माफिया मालामाल हो रहा है। इस समय ईंट भट्टे पूरी तरह बंद हैं। कुछ भट्टा मालिक इनके शुरू होने से पहले मिट्टी का स्टॉक करने के लिए खुद भी किसानों को पैसे देकर बिना अनुमति के मिट्टी की खुदाई करा रहे हैं। मिट्टी का स्टॉक पूरा होने के बाद उन्हें बाद में भट्टा संचालन में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
किसानों को हर तरह की गारंटी: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खनन माफिया पहले ऐसी पार्टियों से संपर्क करता है, जिन्हें बड़े पैमाने में मिट्टी की आवश्यकता होती है। उससे सौदा तय होने के बाद किसानों से संपर्क किया जाता है। किसान को मामूली लालच देकर इस बात की गारंटी दी जाती है कि वह उसका कुछ नहीं बिगड़ने देंगे। कुछ किसान कानून की जानकारी के अभाव में ऐसे लोगों और पैसे के चक्कर में मिट्टी खुदाई कराने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद खनन माफिया अपने काम को आसानी से अंजाम देता है।
परमिशन भी एक लिमिट तक: मिट्टी खुदाई की परमिशन खनन विभाग की ओर से दी जाती है। इसके लिए भू-मालिक को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इस आवेदन में उसे यह बताना होता है कि वह खेत से खुदाई की जाने वाली मिट्टी का इस्तेमाल कहां करेगा। अगर वह मिट्टी की बिक्री करता है, तो उसे खरीददार के संबंध में पूरी जानकारी देनी होती है। जमीन का नक्श और फर्द साथ लगाने होते हैं। इसके बाद आवेदन खनन विभाग के पास आता है। विभाग के अधिकारी जीपीएस से जमीन का जायजा लेते हैं। आवेदन सही पाए जाने पर महज 5 फुट तक खुदाई की परमिशन दी जाती है।
जल्द की जाएगी कार्रवाई: अवैध खनन की सूचना मिलते ही विभाग की ओर से तुरंत कार्रवाई की जाती है। कसोला क्षेत्र में अवैध खनन की जानकारी मुझे नहीं है। जल्द ही अवैध खनन का पता लगाकर एक्शन लिया जाएगा। - राजेश सहरावत, खनन अधिकारी।
साभार - नरेन्द्र वत्स