भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल ने आज 'भविष्य को खिलाने के लिए कृषि शिक्षा में बदलाव: उद्यमिता और नवाचार' विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया।
डॉ. राकेश चंद्र अग्रवाल, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा), आईसीएआर, नई दिल्ली ने व्याख्यान दिया और भारत के आर्थिक विकास में कृषि शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि संकायों वाले केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना का हवाला देते हुए भारत के कृषि शिक्षा क्षेत्र में देखे गए उल्लेखनीय परिवर्तन पर जोर दिया।
कृषि शिक्षा में योगदान के लिए डॉ. अग्रवाल को डॉ. एनएन दस्तूर मेमोरियल ओरेशन अवार्ड-2024 से सम्मानित किया गया।
आईसीएआर-एनडीआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि डॉ. अग्रवाल ने जैव विविधता सूचना विज्ञान, सूचना प्रबंधन, बौद्धिक संपदा अधिकार, किसानों के अधिकार और कृषि शिक्षा में सराहनीय काम किया है।
डॉ. अग्रवाल ने कृषि शिक्षा को आकार देने, व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता को पोषित करने और संज्ञानात्मक, सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) -2020 के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कृषि शिक्षा परिदृश्य में एनईपी-2020 को लागू करने के लिए रणनीतिक पहल की भी रूपरेखा तैयार की, जिसमें कृषि विश्वविद्यालयों में सीटें बढ़ाना, बहु-विषयक संस्थानों को बढ़ावा देना और उच्च कृषि शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि आईसीएआर की राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना 2017-18 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे, संकाय और छात्र उन्नति के समर्थन के लिए संसाधन और तंत्र विकसित करना था। आईसीएआर के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. अग्रवाल ने कृषि शिक्षा को आगे बढ़ाने में अभिन्न घटकों के रूप में एमएससी में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा और पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा का उल्लेख किया।