करनाल: निगम की फूसगढ़ गोशाला में पहुंचा लंपी वायरस

Update: 2022-08-19 05:33 GMT

ब्रेकिंग न्यूज़: करनाल। लंपी वायरस जिले में पैर पसार चुका है। जिले में 1128 पशु इससे प्रभावित हैं, इनमें नगर निगम की फूसगढ़ स्थित गोशाला में भी 15 पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं। गोशाला संचालक संक्रमित पशुओं को अलग उनका उपचार करा रहे हैं। राहत की बात है कि संक्रमित पशुओं में लगातार सुधार है फूसगढ़ स्थित नगर निगम की गोशाला में गाय और नंदी मिलाकर पशुओं की संख्या करीब 2700 है। ऐसे में यहां लंपी वायरस के पहुंचने से खलबली मच गई है। गोशाला संचालक बंसी वाले संस्था के राजेश बंसल ने बताया कि पिछले दिनों पशु चिकित्सकों ने पशुओं का परीक्षण किया था तो यहां करीब 15 गोवंश में लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं। ये संक्रामक रोग है, इसलिए इन प्रभावित पशुओं को तत्काल प्रभाव से अन्य पशुओं से अलग कर दिया गया है। उनके चारे आदि की व्यवस्था भी अलग से और पूर्ण सावधानी पूर्वक की जा रही है, ताकि वायरस अन्य पशुओं को अपनी चपेट में न ले सके। ऊंचानी के पशु चिकित्सालय के चिकित्सक यहां हर रोज सुबह शाम आकर परीक्षण कर रहे हैं।

दवाइयां आदि भी चल रही हैं, अब पशुओं की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। वहीं, उपनिदेशक (पशुपालन) डा.धर्मेंद्र के अनुसार करनाल जिले में अब तक 1128 पशु लंपी वायरस से पीड़ित मिले हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है। इससे पशु पालकों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे प्रभावित 99 प्रतिशत पशु ठीक हो जाते हैं। मूनक। गायों के बाद भैसों में भी लंपी वायरस के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। गांव मूनक में घूम रहे लावारिस सांड़ व गायों में इसका प्रभाव देखा जा रहा है। पशु पालक बिल्ला राणा, राजन, जय भगवान, कृष्ण, सतीश, फूल सिंह ने बताया गांव में एक सांड़ लंपी वायरस से ग्रस्त है। इससे गांव में बीमारी फैलने का डर सता रहा है। गांव के ही कृष्ण की गाय लंपी वायरस से प्रभावित हो गई है, जिसका इलाज चल रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने पशुओं के इलाज के लिए कई मोबाइल वैन लगा रखी है, जिसमें डॉक्टरों की ड्यूटी लगी हुई है। एसडीओ डॉक्टर बलजीत ने बताया कि जिन पशुओं को दो दिन बुखार आने से व उसके बाद उस के शरीर पर छाले हो जाते हैं। उससे पशु को काफी परेशानी होती है। इससे बचने के लिए हमें अपने पशुओं को बुखार की दवाई व लाल दवाई, फटकड़ी का पानी, नीम के पत्तों से उसे झाड़ना पड़ेगा, जिससे पशुओं को राहत मिलेगी।

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