Haryana: यमुना का जलस्तर घटा, तीन राज्यों में पानी का संकट

Update: 2024-10-05 06:29 GMT
Haryana हरियाणा : यमुनानगर के प्रतापनगर क्षेत्र स्थित हथिनीकुंड बैराज पर शुक्रवार को मात्र 9759 क्यूसेक पानी ही बह रहा था। ऐसे में तीन राज्यों में जल संकट गहराने का खतरा मंडरा गया है। वहीं पनबिजली परियोजना चलाने के लिए कम से कम 5400 क्यूसेक पानी चाहिए।
जानकारी के अनुसार इस बार सीजन की सबसे कम बारिश हुई जिससे हथिनीकुंड बैराज पर पानी का संकट गहराना शुरू हो गया था। ये दिल्ली के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। शुक्रवार को बैराज पर 9759 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया। इसमें से पनबिजली परियोजना चलाने के लिए 5400 क्यूसिक पानी की जरूरत है।
इसके बाद हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश को भी पानी देना होता है। ऐसे में जलस्तर घटने से दिल्ली व अन्य राज्यों के लोगों को पानी के संकट का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, वैसे-वैसे यूपी व दिल्ली को दिए जाने वाले पानी की मात्रा भी कम हो रही है।
इस बार यमुना नदी के कैचमेंट एरिया व पहाड़ों में भी बारिश कम होने का असर साफ तौर पर हथिनीकुंड बैराज पर देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश से दिल्ली के लिए छोड़े जाने वाला पानी हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से आता है और करनाल के रास्ते दिल्ली जाता है।
दिनभर में बैराज पर जलस्तर
हथिनी कुंड बैराज कार्यालय के अनुसार शुक्रवार शाम 5 बजे बजे बैराज पर 9759 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया। जिसमें से पश्चिमी नहर को 7728 यमुना को 352 व यूपी को 1679 की पानी दिया गया। जबकि सुबह 5 बजे 11562, 6 बजे 12261, 7 बजे 12309, 8 बजे 11724, 9 बजे 10883, 10 बजे 10193, 11 बजे 10545, दोपहर 12 बजे 11207, एक बजे 12272, 2 बजे 10245, 3 बजे 10938, 4 बजे 10488 व 5 बजे 9759 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया।
पहाड़ों में बर्फ न पिघले तो सूख जाएगी यमुना
हथिनीकुंड बैराज की जल आपूर्ति में पहाड़ों में हो रही बर्फबारी की अहम भूमिका है। बर्फ पिघलने पर जो पानी पहाड़ों के रास्ते है बैराज पर पहुंच रहा है फिलहाल वही पानी लोगों की प्यास बुझा रहा है। अगर पहाड़ों में बारिश न हो या बर्फ न पड़े तो यमुना नदी पूरी तरह से सूख जाएगी। जिससे तीन राज्यों में पानी का भारी संकट गहरा जाएगा क्योंकि इसके अलावा नहरी इलाकों में अन्य कोई पानी का विकल्प नहीं है।
पहली बार पानी इतना कम हुआ है : विजय कुमार
सिंचाई विभाग हथिनीकुंड बैराज एक्सईएन विजय कुमार ने बताया कि पिछले लगभग 18 से 20 वर्षों में पहली बार इतना कम पानी देखने को मिल रहा है। हालांकि पनबिजली परियोजनाओं में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है। अगर यही स्थिति रही तो पानी का संकट गहरा सकता है। बैराज पर कोई डैम न होने के कारण यहां पानी स्टोर नहीं किया जा सकता। ऐसे में पानी का संकट गहराना स्वाभाविक है। उनका कहना है कि जितना भी अपनी पहाड़ों से आता है उसको उत्तर प्रदेश हरियाणा व दिल्ली को बांट दिया जाता है।
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