चण्डीगढ़। कृषि प्रधान राज्य होने के नाते हरियाणा का देश के खाद्यान भंडार में उल्लेखनीय योगदान है। आज के समय की जरूरत के मद्देनजर कृषि क्षेत्र में भी बदलाव की आवश्यकता है। स्वस्थ जीवन और समृद्ध किसान की अवधारणा के अनुरूप हरियाणा आज प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है। प्राकृतिक खेती न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभादायक है बल्कि किसानों के लिए भी अच्छी आमदनी का सौदा साबित हो रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी सोच के अनुरूप प्रदेश सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य की उपजाऊ शक्ति को बचाने और खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए किसानो को प्राकृतिक खेती की और बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। इसके लिए सरकार ने एक समर्पित प्राकृतिक खेती पोर्टल भी शुरू किया है और अब तक 2994 किसानों ने पंजीकरण कर प्राकृतिक खेती में अपनी रुचि दिखाई है।
किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतू 4 ड्रम खरीदने पर 3 हजार रुपये, देसी गाय की खरीद के लिए 25 हजार रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। साथ ही, सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती उत्पाद की ब्रांडिग व पैकेजिंग पर प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान भी किया गया है। इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक खेती पर गुरूकुल, कुरूक्षेत्र में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें प्राकृतिक खेती के मॉडल पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने विशेष तौर पर शिरकत की। प्राकृतिक खेती के मॉडल को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने और इसके विस्तार को लेकर इस कार्यशाला में चर्चा की गई। कृषि सीधे तौर पर मिटटी से जुड़ी है। किसानों की उन्नति मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर निर्भर करती है। मिट्टी स्वस्थ तो किसान भी स्वस्थ। किसानों को समृद्ध बनाने और उनके कल्याणार्थ हरियाणा सरकार ने मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की जांच पर बल दिया है, ताकि किसानों को उनके खेत की मिट्टी के बारे में पता लग सके और वे उसके अनुसार अच्छी आमदनी वाली फसलों की बुवाई कर सकें।
मुख्यमंत्री का मामना है कि जब किसान उन्नत होगा, तो समाज, प्रदेश व देश भी उन्नत होगा। किसानों का कल्याण हमारी सरकार के लिए सर्वोपरि है और राज्य सरकार हर परिस्थिति में सदैव किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राज्य सरकार निरंतर किसानों व किसानी के कल्याण के लिए नई-नई पहल कर रही है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार द्वारा हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान की भी शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों के खेतों से मृदा के सैंपल लेकर उनकी जांच की जा रही है, ताकि किसानों को मिट्टी की उपजाऊ शक्ति की जानकारी मिल सके। जैसे खेत की मिट्टी में कितनी मात्रा में कौन से पोषक तत्व उपलब्ध है और कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में किसानों को अपने खेतों मे प्रयोग करना चाहिए। 31 अगस्त 2022 तक 28,95,399 मृदा के सैंपल एकत्रित किए जा चुके हैं, जिनके विश्लेषण का कार्य तेजी गति से किया जा रहा है। हर खेत-स्वस्थ खेत अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के प्रत्येक एकड़ के मृदा के सैंपल एकत्रित करके सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे। वर्तमान में हरियाणा राज्य में कुल 48 परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। 4 बड़ी भूमि परीक्षण प्रयोगशालाओं व 9 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के भवन निमार्ण का कार्य प्रगति पर है जो कि चालू वित्तवर्ष के अंत तक पूर्ण हो जाएगा। 222 राजकीय सीनियर सेंकेंडरी स्कूलों व महाविद्यालयों के विज्ञान अध्यापकों और शिक्षकों को सीएसएसआरआई, करनाल व सीसीएसएचएयू, हिसार में मृदा परीक्षण की ट्रेनिंग करवाई गई है। राजकीय सीनियर सेंकेंडरी व महाविद्यालयो में 222 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं।