चंडीगढ़। 1966 हरियाणा गठन से ले आज तक हरियाणा व पँजाब की राजनीति में बड़ा मुद्दा रहा एस वाई एल का पानी का जिन्न इस बार फिर लोकसभा चुनावों से पहले बाहिर निकला है।लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों सहित।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले 9 सालों से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा की प्रॉपर पैरवी की है। छोटे-बड़े भाई कहे जाने वाले हरियाणा और पंजाब के बीच पानियों का झगड़ा देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया लेकिन इसका आज तक सतही हल नहीं निकल सका है। बार बार सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद पंजाब इस मसले पर टस से मस होने को तैयार नहीं अपितु विधानसभा में बिल पास करके सुप्रीम कोर्ट को भी ठेंगा दिखाता रहा है।
सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने अब तक नहर का निर्माण नहीं किए जाने पर सख्त लहजे में कहा कि हमें कठोर आदेश देने पर मजबूर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कोर्ट की मर्यादा का पालन करने की हिदायत दी। अदालत ने कहा कि पिछले दो दशक से सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण न होने पर हम चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज-यमुना लिंक नहर की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपते हुए कहा कि पंजाब में सतलुज-यमुना लिंक नहर के लिए अधिग्रहीत जमीन वापस न लौटाई जाए। अब जमीन का सर्वे केंद्र सरकार करे।
पंजाब यानी पांच नदियों का इलाका। इन्ही में से एक नदी का नाम सतलुज है। तिब्बत के मानसरोवर के नजदीक से निकलती हुई ये नदी राकसताल, भाखड़ा से पंजाब में दाखिल होती हुई व्यास से मिलती है। जबकि यमुनोत्री से निकलकर यमुना उत्तराखंड, हरियाणा से होते हुए यूपी के प्रयागराज में गंगा से मिलती है। एसवाईएल के पानी पर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला ने एक गाना बनाया था। उसने पंजाब के पानी की एक बूंद किसी को न देने की बात कही। इसे लेकर विवाद इतना बढ़ा कि इसके जवाब में हरियाणा के गीतकारों ने भी गीत लिखकर रिलीज कर मामला गर्म कर दिया। गाना कुछ समय में यू ट्यूब से हटा भी दिया गया था। एसवाईएल आज हरियाणा पंजाब की राजनीति के लिए सबसे चर्चित व टेंड्रिग टॉपिक है।