हरियाणा: छ: वर्ष बाद मिला न्याय, 11 हत्यारों को उम्रकैद

Update: 2022-08-01 11:47 GMT

ब्रेकिंग न्यूज़: न्याय पाने में छह साल लगे। मृतक के शरीर पर चाकू के 17 जख्म थे। देवा गैंग रामुपुरा बलियाली में खौफ और आतंक का पर्याय बन चुका। गैंग का सरगना अशोक उर्फ मग्गु साथियों के साथ पहले से ही भिवानी जेल में बंद है। न्याय पाने के लिए हरियाणा के भिवानी में गांव रामुपुरा बलियाली निवासी महेश के परिवार को छह साल तक इंतजार करना पड़ा, मगर जब 11 हत्यारों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई तो उम्रभर के लिए मिले दर्द को भी मरहम मिल गया। कोर्ट ने भी अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाते वक्त सख्त टिप्पणी की। सेशन जज दीपक अग्रवाल ने कहा कि खूंखार अपराधियों की असली जगह जेल है, इनका बाहर रहना समाज के लिए खतरा है। इसलिए इनका हमेशा जेल में ही रहना उचित होगा। बता दें कि हत्या के बाद मृतक के शरीर पर चाकू के 17 जख्म थे। फैसले से महेश के बूढ़े माता-पिता के दिल को सुकून मिला है, वहीं अपने चचेरे भाई को खो चुके जितेेंद्र को भी छह साल तक न्यायालय में चक्कर लगाने के मानसिक तनाव से मुक्ति मिली है। देवा गैंग बवानीखेड़ा क्षेत्र के गांव रामुपुरा बलियाली में खौफ और आतंक का पर्याय बन चुका था। इस गैंग के करीब 35 से 40 गुर्गे हैं। इसी गैंग ने रामुपुरा बलियाली निवासी महेश की पांच दिसंबर 2016 को अपहरण कर चाकुओं से गोदकर निर्मम हत्या कर दी थी। उस पर 17 वार किए गए थे। हत्या के बाद शव को बनछटी (सूखी लकड़ियों के ईंधन) पर डाल पेट्रोल डालकर जलाने की तैयारी थी।

मगर महेश का चचेरा भाई जितेंद्र वहां पहुंच गया था। जितेंद्र इस हत्याकांड में आरोपियों के खिलाफ न्याय पाने के लिए आखिरी वक्त तक डटकर खड़ा रहा। हत्या में जितेंद्र गवाही देने कोर्ट तक न पहुंचे, इसके लिए बदमाशों ने 11 सितंबर 2019 को जितेंद्र पर जानलेवा हमला किया। इस हमले में भी उसकी जान बच गई तो फिर 20 अप्रैल 2022 को भी गैंग के गुर्गों ने दोबारा हमले कोशिश की। दो बार के हमलों में जितेंद्र की जान तो बच गई, मगर वह आज भी बिस्तर पर है। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए 19 गवाहों ने हत्या का राज खोला और छह साल तक न्यायालय में लड़ाई लड़नी पड़ी। जिसके बाद हत्या के 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा हुई। सेशन जज दीपक अग्रवाल की कोर्ट ने अपहरण और हत्यारोपी जितेंद्र उर्फ सोनू, विनोद, सुनील उर्फ छोटू, रवींद्र उर्फ छोटू, राहुल, आकाश, संजय, संदीप उर्फ मटरू, पंकज उर्फ बाला, अंकेश, सुमित को उम्रकैद और प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। हत्या के चश्मदीद जितेंद्र ने कोर्ट में 11 आरोपियों की शिनाख्त कर दी थी। वहीं कुल 19 लोगों की मामले में कोर्ट में गवाही भी हुई थी। चश्मदीद कोर्ट न पहुंचे, इसकी भी हत्यारों ने हर संभव कोशिश की थी। मगर आखिरकार पीड़ित को न्यायालय से न्याय मिल ही गया। भिवानी जेल में 10 साथियों के साथ बंद है देवा गैंग का सरगना अशोक उर्फ मग्गु देवा गैंग का मुख्य सरगना रामुपुरा बलियाली निवासी अशोक उर्फ मग्गु पहले से ही अपने 10 साथियों के साथ महेश हत्याकांड के चश्मदीद जितेंद्र की हत्या की कोशिश मामले में जेल में बंद है। अशोक उर्फ मग्गु पर गैंग के गुर्गों के साथ दो बार मुख्य गवाह जितेंद्र को मारने की कोशिश की थी। मगर वह दोनों बार ही बच गया था। जितेंद्र की हत्या कोशिश मामले की न्यायालय में अभी ट्रायल चल रही है। जिस पर फैसला आना बाकी है। देवा गैंग की खागड़ उर्फ टांग तोड़ गैंग से है दुश्मनी गांव रामुपुरा बलियाली में मुख्य तौर पर दो गैंग बने हैं।

जिनमें एक खूंखार गैंग देवा गैंग है, जबकि दूसरा गांव का ही खागड़ और उर्फ टांग तोड़ गैंग है। दोनों ही गैंग के गुर्गे एक दूसरे से गैंगवार करते रहते हैं। जिसके नतीजतन कई सालों के दौरान बवानीखेड़ा पुलिस थाने में भी अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक केस पुलिस फाइलों में दर्ज हुए हैं। हमारे बेटे महेश को हत्यारों ने बेरहमी से मार डाला था। हमें सिर्फ एक ही आस थी कि मेरे बेटे को मारने वाले भी जीवन भर इसका अंजाम भुगते। कोर्ट ने जब 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई तो मेरे बेटे की आत्मा को भी शांति मिली होगी, क्योंकि तब हमारी आत्मा को तसल्ली मिली, हम इस न्याय से संतुष्ट हैं। - महेश के पिता अमरपाल और माता रतनी छह साल तक मैंने कोर्ट के चक्कर लगाए। मैं अपने छोटे भाई की हत्या का इंसाफ चाहता था। न्यायालय के फैसले से मेरा परिवार और मैं संतुष्ट हूं। गैंग के सदस्य अब भी परिवार के लोगों पर हमले कर रहे हैं, कुछ दिन पहले भी हमला हुआ है, लेकिन हम डरने वाले नहीं है। - पवन कुमार, मृतक महेश का बड़ा भाई। देवा गैंग रामुपुरा बलियाली में खूंखार अपराधियों का एक गैंग है, जिसके सदस्यों का काम हत्या, डकैती, हत्या प्रयास, अवैध हथियार रखना व अन्य वारदातों को अंजाम देना है। गैंग के लगभग सभी सदस्यों पर काफी आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह फैसला ऐतिहासिक और पीड़ित परिवार के लिए सटीक न्याय के साथ-साथ अपराध करने वालों के लिए भी बड़ा सबक है। -हनुमान प्रसाद शर्मा, पीड़ित पक्ष का अधिवक्ता।

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