हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों पर कसा शिकंजा, 11 के खिलाफ दर्ज होंगे आपराधिक मामले
हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों पर शिकंजा कस दिया है।
हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अफसरों पर शिकंजा कस दिया है। हर महीने भ्रष्ट अफसर राज्य सतर्कता ब्यूरो के जाल में फंस रहे हैं। ब्यूरो ने फरवरी 2022 के दौरान चार जांच पूरी कीं, जिनमें 4 राजपत्रित, 7 अराजपत्रित अधिकारियों और 7 निजी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की सिफारिश सरकार से की गई है।
दो अन्य जांच में दो राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए लिखा गया है। विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने बताया कि फरवरी में एक राजपत्रित अधिकारी सहित 10 सरकारी कर्मियों को 1000 रुपये से 1.40 लाख रुपये तक की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।
शिकायत के आधार पर दो अन्य सरकारी कर्मियों पर भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। नगर निगम, फरीदाबाद में तैनात अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा और लेखाकार रविशंकर दोनों 1.40 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग फरीदाबाद में वजन एवं माप अनुभाग में तैनात राजबीर सिंह निरीक्षक को 60,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक पलवल के शाखा प्रबंधक उजेंद्र सिंह को 25,000 रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। फरीदाबाद जिले में तैनात डीएचबीवीएन के लाइनमैन मान सिंह को 26,000 रुपये, हरियाणा रोडवेज जींद के नाजर क्लर्क भगवान को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते दबोचा है। इसके अलावा अन्य गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
फरवरी में ही ब्यूरो ने तीन विशेष तकनीकी जांच रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी। इनमें तीन राजपत्रित अधिकारियों व दो अराजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करते हुए 16 लाख 84 हजार रुपये से अधिक की राशि वसूलने को कहा है।
ये भी रिश्वत लेते दबोचे
कैथल में थाना चीका के पद पर तैनात इंस्पेक्टर जयवीर, एएलएम डीएचबीवीएन पलवल हरिओम को पांच-पांच हजार रुपये लेते गिरफ्तार किया गया। सेंट्रल फरीदाबाद में तैनात सब इंस्पेक्टर जय चंद को 10 हजार रुपये और गुरुग्राम नगर निगम के सर्वेयर अंशु पराशर को 2000 रुपये की रिश्वत लेते सतर्कता ब्यूरो की टीम ने दबोचा था।
सिफारिश के बाद अगली प्रक्रिया
11 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला तभी दर्ज होगा, जब सरकार मंजूरी देगी। सरकारी सेवा नियमों के अनुसार मुख्य सचिव कार्यालय इस पर अंतिम निर्णय लेगा। जिन विभागों के अधिकारी रिश्वत लेते दबोचे गए हैं, उन विभागों के प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों से भी टिप्पणी मांगी जाएगी। उसके बाद अंतिम निर्णय लेकर आपराधिक मामला दर्ज कराने या न करने पर फैसला होगा।