हरियाणा: सजे शिवालय, सावन के पहले सोमवार को होगी भोलेनाथ की पूजा

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Update: 2022-07-18 11:44 GMT
पानीपत। भगवान शिव के प्रिय मास सावन माह शुरू हो गया है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से हर एक मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होत है। सावन के पहले सोमवार की तैयारी भी लोगों ने पूरी कर ली। सावन के पहले सोमवार से लेकर अंतिम सोमवार तक हर सोमवार को बहुत से शिव भक्त व्रत रखते हैं और शिवजी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं। भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में उमड़ते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार श्रावणका महीना शुरू होते ही शिव भक्त कावड़िए हरिद्वार, ऋषिकेश, गौमुख से गंगाजल भरकर नंगे पैर दौड़ते और बम-बम भोले का उद्घोष करते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की पूजा करने का विधान है। पूजा के दौरान गंगाजल से शिवजी का अभिषेक सबसे बढ़िया माना जाता है।
सावन के पहले सोमवार पर बन रहे हैं खास योग
ज्योतिषाचार्य पंडित राधे-राधे ने बताया कि सावन के पहले सोमवार पर कई विशिष्ट योग बन रहे हैं। इसमें रवि योग दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 19 जुलाई को सुबह 5 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस योग में मनोकामना सिद्धि के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव पुराण का पाठ बेहद लाभकारी रहेगा। साथ ही रवि योग में शिव परिवार की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके साथ ही इस दिन शोभन योग 17 जुलाई शाम 5 बजकर 49 मिनट से 18 जुलाई को 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और पहले सावन सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेंगे। ऐसे शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करना फलदायी होगा। शुभ योग में भगवान शिव को कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल, धतूरा, बेलपत्र, मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए।
सावन सोमवार को ऐसे करें भगवान शिव की पूजा
शास्त्रों के अनुसार, सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। भगवान शिव की पूजा करने के साथ कथा सुनी जाती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें।
शिव पुराण में कई चीजों से भगवान शिव के अभिषेक करने का फल बताया गया है। इसमें यह भी बताया गया कि किन चीजों से अभिषेक के क्या फायदे होते हैं। मसलन, जलाभिषेक से सुवृष्टि, कुशोदक से दुखों का नाश, गन्ने के रस से धन लाभ, शहद से अखंड पति सुख, कच्चे दूध से पुत्र सुख, शक्कर के शर्बत से वैदुष्य, सरसों के तेल से शत्रु का नाश और घी के अभिषेक से सर्व कामना पूर्ण होती है।
पूजा का समय और मंत्र
भगवान शिव की पूजा का सर्वश्रेष्ठ काल-प्रदोष समय माना गया है। किसी भी दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद के समय को प्रदोषकाल कहते हैं। सावन में त्रयोदशी, सोमवार और शिव चैदस प्रमुख हैं। भगवान शंकर को भष्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, बेलपत्र और भांग विशेष प्रिय हैं। उनकी पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है। सामान्य व्यक्ति ऊँ नम: शिवाय या ऊँ नमो भगवते रुद्राय मंत्र से शिव पूजन और अभिषेक कर सकते हैं। शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें।
सावन महीने में शिव पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव पूजन के लिए मंदिर समिति की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
- हरीश खुराना, प्रधान, कांशी गिरी मंदिर।
- सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा, जल और दूध का अभिषेक करते हैं, उनको समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। जगन्नाथ मंदिर में भी भगवान शिव की पूजा की पूरी तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं में शिव-पूजन को लेकर उत्साह बना हुआ है।
- राजेंद्र गुप्ता, प्रधान, जगन्नाथ मंदिर।
- सोमवार को शिव पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी जिसको लेकर मंदिर समिति की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सावन माह में जो भक्त इस पूरे महीने भक्ति भाव से पूजन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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