एक सेंटीमीटर लंबे और आधा सेंटीमीटर चौड़े पन्नों पर हनुमान चालीसा लिखी हुई

Update: 2023-08-05 06:06 GMT

हांसी के रामपुरा मोहल्ला निवासी जतिंद्रपाल सिंह सूक्ष्म कलाकृति बनाने में माहिर हैं। उनका का दावा है कि उन्होंने एक सेंटीमीटर लंबी और आधा सेंटीमीटर चौड़ी हनुमान चालीसा की पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में हनुमान चालीसा को 15 पन्नों पर लिखा गया है। वहीं, इसके मुख्य पृष्ठ पर हनुमानजी का पहाड़ उठाने वाला चित्र बनाया है।

जतिंद्रपाल सिंह अपनी कला से एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड व लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में 35 नाम दर्ज करवा चुके हैं। जतिंद्रपाल को 10 दिन में पूरी हनुमान चालीसा को लिखा है। उन्होंने इसके हर पेज को लेमिनेशन किया है, ताकि इसे सुरक्षित रखा जा सके। खास बात है कि हर कोई इसे आसानी से पढ़ सकता है। जतिंद्रपाल हांसी के एसडी मॉर्डन पब्लिक स्कूल में कला अध्यापक हैं। वे अपने भाई थरिंद्रपाल सिंह की दुकान पर पेंटिंग भी बनाते हैं।

1992 में पहली बार एक चावल के दाने पर बनाए थे 10 देशों के झंडे

जतिंद्रपाल ने पहली बार 1992 में एक चावल के दाने पर 10 देशों के झंडे बनाए थे। अब तक वह सबसे छोटा चरखा बना चुके हैं। इससे कताई भी होती है। इसके अलावा सबसे छोटा गिटार, सबसे छोटा बजाने वाला ड्रम, सांप-सीढ़ी, पेन सहित अन्य चीजें बना चुके हैं। जिनका प्रयोग भी कर सकते हैं। उन्होंने एक बार एक मिलीमीटर की पतंग बनाकर उड़ाई थी। इतना ही नहीं, 2005 में एक सुई में 780 धागे भी पिरोकर सबको हैरान किया था। अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए तजिंद्रपाल ने 2006 में एक सुई में 2035 धागे पिरोये थे। 2020 में जाकेट सीलने वाली सुई में 26700 रेशमी धागे डालकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया था।

15 अगस्त पर 3 मिलीमीटर साइज का तिरंगा बनाने की तैयारी

तजिंद्रपाल का कहना है कि 15 अगस्त पर 3 मिलीमीटर साइज का तिरंगा बनाएंगे। इसे बनाने में मात्र दो घंटे का समय लगेगा। तिरंगा का डंडा बांस की झाडू के तिनके से तैयार करेंगे। वहीं उनके द्वारा बनाई गई चीजें देखने के लिए बच्चे से लेकर बुजुर्ग घर आते हैं। हर कोई तजिंद्रपाल की कला को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। अब तक उन्हें कई बार राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सामाजिक संस्थाओं से सम्मान मिल चुका है। मगर आज भी उन्हें सरकार से मलाल है। उनका कहना है कि जिस तरह सरकार खिलाड़ियों पर धनवर्षा करती है, उसी प्रकार कला के क्षेत्र में नाम कमाने वाले लोगों को भी राशि देनी चाहिए।

पहले घरवाले बोलते थे-क्यूं आंख फोड़ रहा है

जतिंद्रपाल का सपना था कि वह अपनी कला का प्रदर्शन कर नाम रोशन करें, जोकि उन्होंने कर दिखाया। पहले परिवार के सदस्यों का यह काम पसंद नहीं था। वह कहते थे कि क्यों आंख फोड़ रहा है। परिवार के सभी सदस्यों के सोने के बाद वह अपनी कला से चीजें बनाता था। रात को तीन बजे तक इस काम में लगा रहता था। जतिंद्रपाल ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब वह भाई को दुकान पर पेंटिंग बनते देखते थे। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली।

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