आत्मा की शांति के लिए 20 गांव के लोगों को दिया भोज

Update: 2022-07-17 13:18 GMT

सोनीपत. हिंदू संस्कृति में जब किसी शख्स की मौत होती है तो उसके परिवार वाले उसकी आत्मा की शांति के लिए हवन- यज्ञ, रसम पगड़ी और ब्रह्मभोज की परंपरा करते हैं. इससे अलग हरियाणा के नैना ततारपुर गांव के ग्रामीणों और जानवर के बीच प्रेम और समपर्ण की भावना का अनोखा मेल देखने को मिला. गांव के ग्रामीणों ने गांव में घूमने वाले नंदी बैल की मौत हो जाने के 17 दिन बाद प्रतिभोज का आयोजन किया, जिसमें आसपास के 20 गांव के ग्रामीणों को भी निमंत्रण दिया गया है.

मामला एक ऐसे नंदी जानवर से जुड़ा है जो पूरे गांव का प्यारा था. सोनीपत के गांव नैना ततारपुर में करीब 25 साल पहले जन्मे नंदी यानि बैल जो गांव के लोगों का बेहद चहेता था. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बच्चों तक हर कोई इसे गांव का राजा कहता था, लेकिन गांव के इस राजा की बीमारी के चलते मौत हो गई. रविवार को उसकी याद में उसकी आत्मा की शांति के लिए ग्रामीणों ने अनूठी पहल करते हुए भोज का आयोजन किया, जिसमें कई गांव के लोगों को बुलाया गया.

महिलाओं ने मंगलगीत गाकर दी श्रद्धांजलि

नंदी यानी कि बेल की मौत के बाद गांव की महिलाओं ने भी हवन- यज्ञ में आहुति दी और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. गांव की महिलाओं ने नंदी यानी कि बैल की आत्मा की शांति के लिए भजन और मंगलमय गीत गाए. गांव की महिलाओं ने कहा कि हमारे गांव का नंदी अब नहीं रहा जिसकी आत्मा की शांति के लिए 17वीं में का कार्यक्रम रखा गया है. पहले हवन- यज्ञ किया गया है और बाद में प्रति भोज भी रखा है.

आसपास के ग्रामीणों को भी भेजा गया था न्यौता

वहीं, गांव के सरपंच वह अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जिस नंदी की याद में गांव में हवन यज्ञ व प्रतिभोज का कार्यक्रम रखा गया है वह हमारे गांव में ही जन्मा था और हर ग्रामीण को उसके साथ लगाव था, जिसके चलते गांव की सहमति से यह फैसला लिया गया कि 17वीं का आयोजन किया जाएगा. इसमें अन्य गांव के ग्रामीणों को भी यह संदेश जाएगा कि गौमाता व उसकी सेवा से ऊपर कोई धर्म नहीं है.

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