साइबर अपराधी फौजियों की नकली आईडी बना कर लोगो को ठग रहे हैं, एडवाइजरी जारी

Update: 2022-07-23 12:00 GMT

हरयाणा क्राइम न्यूज़: इंटरनेट मीडिया में सक्रिय साइबर शातिर अपराधी साइबर अपराध करने के नए नए तरिके अपना रहे है। अब साइबर अपराधी लोगों से ठगी के लिए फौजी के नाम को हथियार बना रहे हैं। शातिरों द्वारा खुद को फौजी बताने से लोग उन पर भरोसा करके आसानी से जाल में कर उनकी ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर अपराध से बचने के लिए पुलिस द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है ताकि आमजन सतर्क व सचेत रहकर अपने पैसे की सुरक्षा कर सके है। यह सब कैसे हो रहा है और हमें इससे कैसे बचना है इसके बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कैथल पुलिस अधीक्षक मकसूद अहमद ने बताया कि फौजी बनकर लोगों को ठगना आजकल आम हो गया है। लोग इनके झांसे में भी आसानी से आ जाते हैं, लेकिन ये जालसाज उनका खाता खाली कर लेते हैं।

ज्यादातर ठगी ऑनलाइन खरीदारी को लेकर होती हैं। इनमें साइबर ठग लोगों का भरोसा जीतने के लिए सेना की वर्दी में फोटो और आईडी कार्ड तक भेज देते हैं। एसपी ने बताया कि 'OLX या अन्य साईटस, एप्प पर हम अक्सर कम दाम में अच्छा सामान लेने के लालच में आ जाते हैं। अगर कोई अच्छा सामान कम दाम में दिखे और बेचने वाला फोर्स में है तो ऐसे में विश्वास बन जाता है। वह शिकार को किसी आर्मी या दूसरी फोर्स के जवान की आईडी तक भेज देता है। इसके बाद कैंपस से निकलने के नाम पर फीस और अडवांस पेमेंट वगेरा नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते है। जब तक पीड़ित को ठगी का अहसास होता है। वह लाखों रुपये गंवा चुका होता हैं। पुराना मोबाइल, सोफा, बाइक ओएलएक्स पर खरीदने-बेचने की सुविधा है, लेकिन ठग इसका फायदा उठा रहे हैं। ओएलएक्स, फेसबूक या किसी अन्य साईटस एप्प पर फौजी की फर्जी प्रोफाइल बनाकर वे लोगों को निशाना बना रहे हैं। ठग डील करने वाले शख्स को ई-वॉलेट में रकम ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं, लेकिन इससे पहले वह खुद के अकाउंट से एक रुपया ट्रांसफर करते है ताकि वह सामने वाले का विश्वास जीत सके। उसके बाद ही ठग रुपए ट्रांसफर कराने के लिए लिंक शेयर करते हैं। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद लोगों के खातों से रुपये उड़ा लेते हैं।

ऐसे अपराधों से कैसा बचा जा सकता है। इस बारे में एसपी ने बताया कि किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने से अपने मोबाइल पर anydesk/ammydesk/team viewer quick support आदि एप डाउनलोड बिल्कुल न करें। ऐसा करने पर दूर बैठे साइबर ठग पूरी तरह से आपकी स्क्रीन सांझा करने के साथ ही आपकी डिवाइस पर कब्जा कर लेते हैं। ओएलएक्स या फेसबुक या किसी भी अन्य एप पर कोई सामान खरीदने से पहले विक्रेता के संबंध में पूरी जानकारी वेरीफाई करें। कभी भी अपने डिजिटल वालेट या एकाउंट की केवाईसी ऑनलाइन अपडेट न करें। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा आपको भेजे गए कुछ अमाउंट प्राप्त करने संबंधी लिंक या क्यूआर कोड को अपने फोन से स्कैन न करें। साइबर शातिर अपराधी आपको विश्वास में लेने के लिए ऐसी पहल करता है। किसी डिजिटल वालेट या इंश्योरेंस सेवा आदि के कस्टमर केयर का नंबर गूगल से सर्च न करें। हमेशा उसे कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध कस्टमर केयर से सर्च करें। साइबर शातिर गूगल पर अपना विवरण शीर्ष पर डालने में सफल हो जाते हैं। अनजान व्यक्ति साइट पर अपनी समस्याएं बताते हुए अपनी महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा कर बैठते हैं। जिसका बाद में दुरुपयोग हो जाता है।

एसपी ने कहा कि ऐसी किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी के शिकार होने पर घबराइए नहीं, संकोच मत कीजिए। ऑनलाइन धोखाधडी होने पर अपनी शिकायत 1930 पर जरूर दर्ज करवाएं। एसपी ने कहा कि प्रत्येक जिला में साइबर थाने खुल चुके है। अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए संबंधित थाने, साइबर सेल में संपर्क करें।

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