यूक्रेन में युद्ध: खारकीव में होस्टल के बंकर में फंसे 1500 छात्र, खाने का भी संकट
हमारे पास केवल एक दिन के खाने के लिए सिर्फ ब्रेड और जैम बचे हुए हैं।
हमारे पास केवल एक दिन के खाने के लिए सिर्फ ब्रेड और जैम बचे हुए हैं। पीने का पानी भी खत्म होने वाला है। दिन और रात का कुछ पता नहीं है। दो दोस्त थोड़ी हिम्मत जुटाकर खारकीव से निकलने के लिए मेट्रो स्टेशन गए थे। यह मेट्रो स्टेशन ही यहां से बाहर निकलने की आखिरी उम्मीद थी, मगर अब वह भी बंद कर दिया है। खारकीव और कीव में हालात बद से बदतर हो चुके हैं।
राजधानी कीव और खारकीव मोस्ट डेंजरस सिटी में तब्दील हो गई है और दोनों जगह लगातार गोलीबारी और धमाके हो रहे हैं। उनको यहां से बाहर तो निकलना है, मगर डर सता रहा है कि कहीं वह लोग भी नवीन के जैसे कहीं गोलीबारी का शिकार न हो जाएं।
यह बात खारकीव में फंसे वीएन कराजिन यूनिवर्सिटी के छात्र रमन बंसल ने व्हाट्सएप पर बातचीत करते हुए कही। रमन बंसल हरियाणा के कुरुक्षेत्र के ज्योति नगर का रहने वाला है और पांच साल पहले एमबीबीएस करने गया था। रमन ने बताया कि नवीन कई दिन से भूखा था और खाना लेने के लिए ही बाहर निकला था, मगर इसी दौरान गोली लगने से उसकी मौत हो गई।
वह अपने होस्टल के कमरे में अपने दोस्त राजपाल (हिसार), मधु और सक्षम (लखनऊ) के साथ फंसा हुआ है। उनके पास खाने में सिर्फ ब्रेड और जैम है। उनसे भी सिर्फ एक दिन का ही गुजारा हो सकता है इसलिए वह लोग एक-दो ब्रेड खाकर ही गुजारा कर रहे हैं। खारकीव में लगातार गोलीबारी हो रही है। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर भी कोई मदद नहीं मिल रही है।
मेट्रो स्टेशन किया बंद
रमन ने बताया कि खारकीव से बाहर निकलने के लिए मेट्रो स्टेशन उनकी आखिरी उम्मीद थी, मगर अब उसे भी बंद कर दिया गया है। उसके साथी मधु और सक्षम यहां से निकलने के लिए मेट्रो स्टेशन गए थे। मेट्रो स्टेशन की ओर जाते हुए वे हर पल की जानकारी उनको दे रहे थे, मगर स्टेशन पहुंचने पर उनको जानकारी मिली कि मेट्रो स्टेशन बंद कर दिया है। इसी के चलते वे लोग वापस होस्टल अपने रूम में गए हैं। बताया कि मेट्रो स्टेशन से ट्रेन चलाई गई है। यह ट्रेन भारतीय छात्रों को वेस्ट बॉडर तक पहुंचा रही है, मगर ट्रेन कभी दो घंटे देरी से आती है तो कभी पहुंचती ही नहीं है। वहीं स्टेशन खचाखच भरा हुआ है और ट्रेन में भी बैठने की जगह तक नहीं है।
होस्टल के बंकर में फंसे करीब 1500 छात्र
रमन ने बताया कि उनके होस्टल के बंकर में करीब 1500 छात्र फंसे हुए हैं। हालांकि उनको एक एजेंसी के जरिए खाना-पीना मिल रहा है, मगर किसी के भी खारकीव से बाहर निकलने की उम्मीद बेहद कम है। कर्नाटक के नवीन की मौत के बाद कोई भी बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर रहा है। सब लोग भारत सरकार से मदद की गुहार कर रहे हैं। उनको सरकार पर विश्वास है, मगर सरकार को भी उस विश्वास को कायम रखना होगा। अभी उनकी बिजली सप्लाई चल रही है, मगर चार किलोमीटर दूर दूसरे होस्टल की बिजली बंद हो गई है।
उसग्रोड से पहुंची दीया देवगन, फोटो 38
उसग्रोड से रविवार को अपने घर बाबैन लौटी दीया देवगन ने बताया कि उसग्रोड की तरफ शांति है। हालांकि वहां भी अलर्ट घोषित किया गया है। रात के समय कर्फ्यू भी कायम है, मगर हंगरी बॉर्डर आधे घंटे की दूरी पर ही है। हंगरी बॉर्डर से भारतीय दूतावास के अधिकारी छात्रों को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट तक रवाना करके वतन भेज रहे हैं। उनके साथ शाहाबाद का युवक दीपांशु बांगड़ भी आया है। हालांकि उसके कई दोस्त कीव में फंसे हुए हैं। वहां इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। सुबह से किसी के साथ कोई संपर्क नहीं हो रहा है।