मुख्यमंत्री मनोहर लाल : प्रत्येक नागरिक को पौधा रोपण कर पौधों के पालन और सुरक्षा का लेना होगा संकल्प
प्रत्येक नागरिक को पौधा रोपण कर पौधों के पालन और सुरक्षा का लेना होगा संकल्प
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को पौधा रोपण करके पौधों के पालन पोषण और सुरक्षा करने का संकल्प लेना होगा। इस संकल्प को लेने के बाद ही सभी के सांझे प्रयासों से पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसलिए इस प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए सरकार की तरफ से ऑक्सीवन बनाने की योजना को भी अमलीजामा पहनाया गया है। सरकार ने पेड़ों से लगाव रखने वाले और पर्यावरण को संरक्षित करने वाले लोगों के लिए दर्शनलाल जैन पर्यावरण अवॉर्ड की शुरूआत की है, भविष्य में पर्यावरण से जुड़े अवॉर्ड का ओर विस्तार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को पिहोवा के गांव स्योंसर में सरस्वती वन में हरियाणा वन विभाग की तरफ से आयोजित 73वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वन विभाग के विश्राम गृह में मोलसरी का पौधा लगाकर विधिवत रूप से 73वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया। इस वन महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर हरियाणा के वन मंत्री कंवर पाल, खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा ने भी मोलसरी का पौधा लगाया। इस दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वन विभाग के सराहनीय कार्य करने वाले डा. अशोक खासा, राजबीर सिंह, विरेन्द्र सिंह, सुरेश कुमार, प्रदीप को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम के बाद वन विभाग की तरफ से लोगों को फलदार व छायादार पौधे भी वितरित किए गए।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खेल मंत्री संदीप सिंह की तरफ से रखी गई मांग स्योंसर से ईशाक सडक़ को चौड़ा करने और गांव नीमवाला में फिजिब्लिटी चैक करने के बाद मंडी का निर्माण करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सर्वप्रथम 1857 की क्रांति के महाननायक श्री मंगलपांडे की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को वन महोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सावन का पावनमास चल रहा है। हर तरफ प्रकृति अपनी अनूठी छटा बिखेरी हुई है। इस हरियाली में वन तो हरा भरा है ही लेकिन मन भी हरा भरा रहता है।
वन अपने आप में उत्सव है। वन में चले जाते हैं तो वृक्षों का उत्सव अनोखी छटा बिखेरता है। उन्होंने कहा कि वन महोत्सव की शुरूआत सबसे पहले 1950 में कन्हैयालाल माणिकलाल ने की थी। तभी आज हम 73वां वन महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कालांतर में इस पृथ्वी पर सबसे पहले वन उगे होंगे, पृथ्वी की जितनी आयु है उतनी वनों की आयु होगी। अभी तक के शोध से पता चला है कि वन किसी और गृह पर नहीं है, यह सिर्फ पृथ्वी पर है। हमें ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने चाहिए और इनकी रक्षा व सुरक्षा करनी चाहिए।