हरयाणा क्राइम न्यूज़ रिपोर्ट: प्रदेश से भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी खत्म हो गए हैं या फिर करप्शन पर नकेल कसने वाला महकमा कमजोर पड़ गया है? यह सवाल इसलिए उठा, क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद करप्शन मामलों में कमी नहीं आ रही है। अभी पिछले छह माह में ही भ्रष्टाचार के चार दर्जन मामले सामने आ चुके हैं। राज्य सरकार व विजिलेंस विभाग बेशक भ्रष्ट अफसरों पर लगातार सख्त कार्रवाई कर रहे हैं, पर आम नागरिक में परसेप्प्शन है कि करप्शन में कमी नहीं आई है, बल्कि कुछ वृद्धि ही हुई है। प्रदेश में 2013-14 के दौरान 128 कर्मचारियों को रिश्वतखोरी के इल्जाम में दबोचा गया, 2015-16 में यह आंकड़ा 176 हो गया। वर्ष 2019-20 में 44 कर्मियों और वर्ष 2020-21 के दौरान 36 कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
छह माह में 48 मामले: चालू वर्ष 2022 में अब तक छह माह में करप्शन के 48 मामले सामने आ चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि 2014 में भाजपा सरकार बनने के तुरंत बाद रिवश्तखोरी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से विजिलेंस विभाग ने जमकर छापेमारी की। जिसके चलते भ्रष्टाचार पर नकेल भी लगी। रिश्वतखोर कर्मचारियों के मन में भय का माहौल बनने लगा, लेकिन धीरे-धीरे भय कम होता गया। जिसका असर ये हुआ कि एक बार फिर रिश्वतखोरों के हौंसले बुलंद होने लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने करप्शन परसेप्शन इंडेक्स-2021 के सूचकांक में भारत में भ्रष्टाचार के मामले में साल 2020 की तरह ही 85वें स्थान पर कायम है। मसलन देश में भ्रष्टाचार को अंजाम देने वालों में कोई कमी नहीं आई और हरियाणा भी रिश्वतखोरी में संलिप्त सरकारी मुलाजिमों को सरकार की किसी सख्ती की परवाह नहीं है।
उच्चाधिकार समिति गठित: जबकि भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर राज्य सरकार ने रिश्वतखोरी के मामलों और शिकायतों का जल्द से जल्द निवारण करने की दिशा में जहां उच्चाधिकार समिति का गठन किया है, वहीं हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो का विकेंद्रीकरण करते हुए डिविजनल लेवल पर 6 स्वतंत्र इकाइयां गठित करने का निर्णय लिया गया है, जिन्हें ग्रुप बी, सी व डी श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एक करोड़ रुपये तक के मामलों और शिकायतों की जांच करने का अधिकार दिया गया है। जबकि ग्रुप-ए श्रेणी के कर्मचारियों व एक करोड़ से अधिक राशि की शिकायतों की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो पहले की तरह करता रहेगा। पंचकूला में राज्य सतर्कता ब्यूरो मुख्यालय के अलावा प्रदेश में अंबाला, करनाल, रोहतक, हिसार, गुरुग्राम और फरीदाबाद में सात पुलिस प्रमुखों के अधीनस्थ सतर्कता विभाग कार्य कर रहा है। यह भी गौरतलब है कि प्रदेश में कुछ राजनैतिक दिग्गजों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार और गबन जैसे के मामले चल रहे हैं।
रंगे हाथ पकड़ा: राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के निर्देश पर राज्य सतर्कता ब्यूरो द्वारा चलाए गये विशेष अभियान के तहत इस साल पहले छह माह में विभिन्न सरकारी विभागों के प्रथम श्रेणी के अधिकारियों से लेकर तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों समेत करीब 50 कर्मचारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया है। जनवरी माह में तीन बड़े अधिकारियों समेत 1500 से 50 हजार रुपये की घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गये नौ सरकारी मुलाजिमों समेत 11 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज करके कार्रवाई की गई है।
जबकि फरवरी में एक राजपत्रित अधिकारी समेत 10 सरकारी कर्मियों को 1000 से 1.40 लाख रुपये तक की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। ब्यूरो ने इस दौरान जहां चार मामलों में पूछताछ के बाद 4 राजपत्रित अधिकारियों, 7 अराजपत्रित अधिकारियों और 7 निजी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सिफारिश की है, वहीं तीन विशेष तकनीकी जांच रिपोर्ट भी राज्य सरकार को सौंपी। इस रिपोर्ट में तीन राजपत्रित अधिकारियों व दो अराजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करते हुए 16 लाख 84 हजार रुपये से अधिक की राशि वसूलने को कहा है।
रोडवेजकर्मी को सजा: हिसार के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने हरियाणा राज्य परिवहन विभाग में तैनात एक कर्मचारी रवींद्र कुमार उर्फ रवि को भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई करते हुए चार साल कारावास की सजा और 5000 रुपये का जुर्माना लगया है। वहीं साल 2015 के मामले में भ्रष्टाचार के मामले में एक सरकारी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर दुग्गल को चार साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना भरने का फैसला सुनाया।
खेमका समेत चार के खिलाफ मामला दर्ज: अप्रैल माह के दौरान हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका समेत के खिलाफ बीते दिन भ्रष्टाचार के आरोपों में शिकायत दर्ज हुई है। पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में हरियाणा वेयर हाउस कॉर्पोरेशन के एमडी संजीव वर्मा ने शिकायत दर्ज कराई है।
रजिस्ट्री घोटाले में 800 को नोटिस: राज्य सरकार प्रदेश में चर्चित रजिस्ट्री घोटाले को लेकर भी एक्शन में है और सरकार ने पिछले दिनों ही साल 2010 से अब तक तहसीलों में हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराने का निर्णय लिया है। सरकार ने इस मामले में 800 अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस भी जारी कर दिया है, जिनमें 400 तहसीलदार और नायब तहसीलदार के अलावा 400 लिपिक और पटवारी शामिल हैं।
घूसखोरों पर विजिलेंस सख्त: प्रदेश में मार्च के महीने में ब्यूरो सर्वाधिक 18 मामलों में 22 सरकारी मुलाजिमों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। इस दौरान 5 लाख रुपये तक की रिश्वत लेते हुए 3 प्रथम श्रेणी के अधिकारी और 19 तृतीय श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। अप्रैल व मई में रिश्वत लेते हुए एक-एक मुलाजिम रंगे हाथ पकडे गये तो इस माह जून में एक महिला पुलिसकर्मी समेत तीन लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार करके उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराये गये हैं। इससे पहले प्रदेश में साल 2021 तक पिछले एक दशक से ज्यादा समय के दौरान भ्रष्टाचार के 1085 मामले जांच के लिए रजिस्टर्ड किये गये, जिनमें अपराध के 244 मामलों समेत भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं। वहीं इस दौरान 915 मामलों की जांच पूरी की गई है। इसके अलावा राज्य सतर्कता ब्यूरो की टीमों ने 848 मुलाजिमों और अन्य को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। इनमें सबसे ज्यादा 176 को वर्ष 2015-16 के दौरान पकड़ा गया है।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग के छह अिधकारी निलंबित: प्रदेश में आमजन के लिए भ्रष्टाचार व अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराने के लिए सीएम विंडो की व्यवस्था भी कारगर सिद्ध हो रही है, जिसमें सीएम कार्यलय भ्रष्टाचार के मामलों पर जांच में दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। इसी कार्रवाई का नतीजा है कि इस साल सरकार कम से कम आठ अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर चुकी है। मसलन मई माह 2022 के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से भ्रष्टाचार के एक मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। सरकार ने गबन के दो मामलों में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के छह अधिकारियों को निलंबित करने के सथ उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। ऐसे अधिकारियों में नूहं के उपायुक्त की जांच रिपार्ट में चार अधिकारियों जसमीर, जावेद हुसैन, राजेश दलाल और लखमी चंद राघव के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश के बाद यह कदम उठाया गया। इससे पहले फरीदाबाद की समाज कल्याण अधिकारी सुशीला व उसके ड्राइवर सतीश को तुरंत प्रभाव से निलम्बित कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने व नियम 7 के तहत कार्यवाही की गई है। जबकि भिवानी के उपायुक्त ने मामले की जांच के बाद पंकज ढांडा और प्रवीण कुमार को भी निलंबित किया जा चुका है।