नई दिल्ली: हरियाणा के करनाल से चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से भारी मात्रा में एक देसी पिस्टल, 31 जिंदा और 3 लोहे के बक्से मिले हैं. अब बताया जा रहा है कि पकड़े गए आतंकवादियों में से दो तो सगे भाई हैं.
इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ये आतंकी सिग्नल और वीआईपी एप्स के जरिए लगातार बातचीत कर रहे थे. इन्हें जो भी आदेश दिए जा रहे थे, उनमें इन एप्स का प्रमुखता से इस्तेमाल हो रहा था. इस पूरी घटना को लेकर बताया गया है कि पुलिस को दिल्ली की तरफ जा रही एक सफेद टोयटा इनोवा गाड़ी को लेकर कुछ इनपुट मिला था. उनके पास विस्फोटक और हथियार होने की सूचना थी.
सूचना मिलने के बाद करनाल पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर नाका लगाया और गाड़ियों की चेकिंग शुरू कर दी .जब दिल्ली नंबर की गाड़ी आती दिखाई दी तो उसे रोका गया जिसमें से चार युवकों की गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान गुरप्रीत सिंह, उसका भाई अमनदीप सिंह, भूपेंद्र और परमिंदर सिंह के रूप में हुई. गाड़ी में विस्फोटक पदार्थ होने की आशंका को देखते हुए गाड़ी को खुली जगह पर पार्क किया गया. उसके बाद तलाशी के दौरान एक मैगजीन ,शुद्ध देसी पिस्तौल, एक मैगजीन ,31 जिंदा कारतूस ,3 लोहे के कंटेनर जो प्रथम दृष्टया आईईडी मालूम होते हैं , 6 मोबाइल फोन और ₹1,30000 की नकदी भी बरामद हुई.
गिरफ्तार किए गए युवकों में से गुरप्रीत लुधियाना जेल में बंद था जहां पर उसकी मुलाकात बटाला निवासी राजवीर सिंह से हुई. राजवीर ने गुरप्रीत की मुलाकात पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिन्दा से करवाई. बातचीत करने के लिए ना मोबाइल फोन और ना व्हाट्सएप का इस्तेमाल हुआ बल्कि सिगनल एप का इस्तेमाल हुआ. रिन्दा ने गुरप्रीत को उसकी बताई गई जगहों पर हथियार पहुंचाने का काम सौंपा जिसके बदले उसे पैसा देने का आश्वासन दिया गया था.
गुरप्रीत को बताया गया था कि उसे विस्फोटक और हथियार ड्रोन के जरिए मिलेंगे. हथियार एक आकाशदीप नामक व्यक्ति के ननिहाल के खेत में पहुंचाए गए थे. इन हथियारों को अदिलाबाद पहुंचाने के लिए कहा गया था. अदिलाबाद की लोकेशन वीआईपी एप पर साझा की गई थी. चारों आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद उनके खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1960 की धारा 4,5 शस्त्र अधिनियम की धारा 25 ,यूएपीए 1959 59 की धारा 13 ,18, 20 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हरियाणा पुलिस के एडीजीपी संदीप खिरवार के मुताबिक इस षड्यंत्र में कई और लोग भी शामिल हो सकते हैं. पुलिस के मुताबिक इस षड्यंत्र में कई और लोगों के शामिल होने के सबूत मिले हैं .कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी जल्द हो सकती है. अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए आतंकवादी इससे पहले भी हथियारों और विस्फोटक पदार्थों की दो बड़ी खेप हासिल करने के बाद उसे ठिकानों पर पहुंचा चुके थे. एक खेप महाराष्ट्र के नांदेड़ में भी पहुंचाई गई थी.
गौरतलब है कि इस षड्यंत्र का मुख्य साजिशकर्ता हरविंदर सिंह निंदा का संबंध नांदेड़ से भी रहा है. वो 11 वर्ष की उम्र में नांदेड चला गया था जहां वो अपराध की दुनिया में शामिल हो गया. उसने 18 वर्ष की उम्र में अपने एक रिश्तेदार की हत्या कर दी थी. नांदेड़ में वह कई लूटपाट और हत्या की कोशिश जैसे मामलों में वांछित है. जब उस पर पुलिस का दबाव बढ़ा तो वो 2016 को पंजाब लौट आया. 2016 से 2018 के बीच वह छात्र राजनीति में भी रहा .इस दौरान उसके खिलाफ चंडीगढ़ के विभिन्न थानों में हत्या ,हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत 4 मामले दर्ज हुए.
रिन्दा के खिलाफ पंजाब के विभिन्न थानों में एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. वो लुधियाना बम ब्लास्ट और नवां शहर सीआईए पुलिस स्टेशन के बाहर हुए धमाकों में भी शामिल रहा है. पुलिस को शक है कि पिछले महीने चंडीगढ़ की बुडैल जेल के बाहर रखे गए बम की साजिश रचने के पीछे भी उसी का हाथ है.