भिवानी: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा जाति आधारित जनगणना सहित अनेक मांगों को लेकर हुआ एकजुट

Update: 2022-04-18 11:14 GMT

हरयाणा लेटेस्ट न्यूज़: पिछड़ा वर्ग की जाति आधारित जनगणना, किसान विरोधी तीन काले कृषि कानून वापिस लेने, ईवीएम के साथ लगी पेपर ट्रेल मशीन से निकलने वाली पर्चियों का 100 प्रतिशत मिलान करने या फिर बैलेट पेपर से चुनाव करवाने, निजी क्षेत्र में एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग को आरक्षण, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए, मध्यप्रदेश, उड़ीसा व झारखंड में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण में सैपरेट इक्ट्रोरेट लागू किया जाए, मजदूरों के खिलाफ बनाए गए श्रम कानून को वापिस लेकर पुराने नियमों को बहाल करने, जबरदस्ती दबाव बनाकर वैक्सीनेशन लगवाने के विरोध सहित अन्य मांगों को लेकर सोमवार को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा (आरपीवीएम) के बैनर तले पिछड़ा वर्ग के लोगों ने शहर में प्रदर्शन किया तथा महामहीम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला संयोजक उमेद सिंह, बहुजन मुक्ति पार्टी के जिला अध्यक्ष पवन रिवाड़ी ने संयुक्त रूप से कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र में संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी होनी चाहिए, मगर सरकार ओबीसी वर्ग के लोगों की संख्या ही नहीं करवाई जा रही। उन्होंने आरोप लगाया कि मशीन में धांधली करके भाजपा सरकार सत्ता पर काबिज है, जबकि जनता वोटिंग मशीन के खिलाफ है। उनकी मांग है कि बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाने चाहिए।

उन्होंने देश के अन्नदाताओं को प्रताडि़त करने के लिए सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए, जिसके विरोध को देखते हुए सरकार ने उन्हे वापिस लेने का आश्वासन तो दे दिया, लेकिन आज तक तीन काले कानूनों को वापिस नहीं लिया गया है, इसीलिए वे मांग करते है कि किसान विरोधी काले कानून वापिस लिए जाएं तथा एमएसपी की गारंटी भी तय की जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण के विरोध में है, इसीलिए ताबड़तोड़ विभागों निजीकरण किए जा रहा है। इसीलिए वे मांग करते है कि निजी क्षेत्रों में एससी, एसटी व ओबीसी को आरक्षण दिया जाए, ताकि उन्हे रोजगार की गारंटी मिल सकें।

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