भिवानी: पिता ने दिया सहारा तो नीतू बनीं चैंपियन

Update: 2022-08-08 09:10 GMT

ब्रेकिंग न्यूज़: अक्सर सुनने और कहने में आता है कि बेटियां पिता को बहुत प्यारी होती हैं। इस बात को कॉमनवेल्थ में स्वर्ण पदक विजेता हरियाणा के भिवानी के गांव धनाना की बेटी नीतू घणघस के पिता जयभगवान ने साबित किया है। नीतू के पिता जयभगवान विधानसभा में बिल मैसेंजर का काम करते हैं। वर्ष 2012 में नीतू ने मुक्केबाजी में सफर शुरू किया था और दो साल बीत जाने के बाद भी उसे कोई पदक नहीं मिल पाया। पदक न जीत पाने से हताश होकर नीतू निराश होकर अपने पिता के पास बैठी और कहा कि अब वह बॉक्सिंग नहीं करेंगी। तब पिता ने उसे समझाया और बेटी की काबिलियत पर विश्वास करते हुए उन्होंने बिना वेतन नौकरी करने का फैसला लिया। वे पिछले सात साल से बिना वेतन के नौकरी कर रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल मैच में इंग्लैंड की डेमी जाडे को 5-0 से हराया। नीतू रिंग में प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज को पंच जड़ रही थी, वहीं धनाना में परिजन खुशी से झूम रहे थे। परिजनों व ग्रामीणों ने लड्डूू बांटकर खुशी जाहिर की। मां के हाथ का चूरमा और करेले की सब्जी पहली पंसद

नीतू की मां मुकेश देवी ने बेटी की जीत पर कहा कि बेटी ने गांव का नाम दुनिया में रोशन कर दिया, नाज सै मन्नै मेरी बेटी पै। ऐसी बेटी भगवान सबनै दै। मां ने बताया कि नीतू को उनके हाथ का बना देशी घी का चूरमा बहुत पसंद है। वह जब भी घर पर आती है तो उसके लिए हमेशा चुरमा बनता है। वहीं सब्जियों में करेला उसकी पहली पसंद है। रिंग में अभ्यास के साथ ही वह खाने-पीने का विशेष ध्यान रखती है, ताकि वजन में अधिक बढ़ोतरी न हो मैरीकॉम को हराने के बाद सुर्खियों आई थी नीतू नीतू घणघस का रिकॉर्ड पहले भी उपलब्धियों से भरा रहा है। मैरीकॉम को हराकर उन्होंने अपने नाम एक और विशेष रिकॉर्ड बना लिया है। फरवरी 2022 में सोफिया बुल्गारिया में हुए स्ट्रेडजा कप में इटली की खिलाड़ी को 5-0 से हरा स्वर्ण पदक जीतकर नीतू ने मुक्केबाजी जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई थी। मिनी क्यूबा के नाम से जाने जानेवाली नीतू घणघस के मुक्कों से अनुभवी भारतीय मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम लड़खड़ा गई थीं। रिंग में मैच के दौरान मैरीकॉम को घुटने में चोट लगने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों के 48 किग्रा के ट्रायल के बीच में ही हटने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 6 बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम को सेमीफाइनल के पहले राउंड में ही नीतू ने धूल चटा दी।

गांव में खुशी का माहौल: 3 of 5वर्ष 2012 में किया था मुक्केबाजी का सफर शुरू मुक्केबाज नीतू घणघस के पिता जयभगवान ने बताया कि वे विधानसभा में नौकरी करते हैं। महज 21 वर्षीय नीतू ने वर्ष 2012 में कोच जगदीश के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। इसके बाद वह निरंतर मेहनत करती रही है और आज इस मुकाम पर पहुंची है। नीतू फिलहाल चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय से एमपीएड की पढ़ाई कर रही है। उसकी छोटी बहन तमन्ना शिमला से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। वहीं छोटा भाई अक्षित कुमार शूटिंग का खिलाड़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है। नीतू घणघस की प्रमुख उपलब्धियां वर्ष-2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप गुवाहाटी में स्वर्ण पदक। वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। वर्ष-2018 वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक। वर्ष 2022 में सोफिया बुल्गारिया में हुए स्ट्रेडजा कप में स्वर्ण पदक। वर्ष 2022 में बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक। नीतू घणघस नीतू हमारी उम्मीदों पर खरा उतरी है। उसने एक तरफा मुकाबला कर दिया, जिससे प्रत्येक देशवासी को गर्व है। प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज से पंचों का बचाव करते हुए नीतू ने डिस्टेंस मेंटेन कर अच्छी तरह खेली है। देश के नाम स्वर्ण पदक करने पर नीतू को बहुत-बहुत बधाई, हमें गर्व है बेटी पर। - जगदीश सिंह, मुक्केबाजी कोच।

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