हरियाणा में 2 लाख मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन, पहुंची 52,000 मीट्रिक टन
केंद्र सरकार ने हरियाणा (Haryana) को जनवरी महीने के लिए 2 लाख मीट्रिक टन यूरिया (Urea) खाद आवंटित की है.
केंद्र सरकार ने हरियाणा (Haryana) को जनवरी महीने के लिए 2 लाख मीट्रिक टन यूरिया (Urea) खाद आवंटित की है. जिसमें से 6 जनवरी, 2022 तक 52,000 मीट्रिक टन प्राप्त हो चुका है. शेष 1.50 लाख मीट्रिक टन के लिए केंद्र सरकार ने जनवरी माह के अंत तक आपूर्ति करने का आश्वासन दिया है. राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है. इस समय भी प्रदेश में 44.160 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है. दरअसल, हरियाणा उन राज्यों में से एक है जहां पर अक्टूबर और नवंबर 2021 में खाद की भारी किल्लत (Fertilizer Crisis) हुई थी. लोगों को दो-दो लाइन लगाने के बाद एक बोरी खाद नसीब हुई थी. लेकिन अब रबी सीजन की बुवाई खत्म हो गई है. फसलों में दोबारा खाद डालने की बारी है और इसकी उपलब्धता ठीक हो गई है.
इस बार हरियाणा में खाद की किल्लत इसलिए भी अधिक थी क्योंकि सरसों का रकबा करीब 4 लाख एकड़ बढ़ गया है. हरियाणा में चालू रबी मौसम के दौरान लगभग 19 लाख एकड़ भूमि में सरसों तथा 57 लाख एकड़ में गेंहू की बिजाई हुई है. जबकि पिछले साल सरसों की खेती का दायरा 15 लाख एकड़ ही था. राज्य सरकार ने दावा किया है कि आवश्यकता अनुसार उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा की उपलब्धता के साथ रबी की मुख्य फसलों की बिजाई हो चुकी है.
पिछले साल से अधिक यूरिया की आपूर्ति
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान रबी मौसम के दौरान 6 जनवरी, 2022 तक 7.85 लाख मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक की बिक्री हुई है. जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि तक यूरिया उर्वरक की बिक्री 7.76 लाख मीट्रिक टन थी. जो यह दर्शाता है कि इस वर्ष भी किसानों को यूरिया की आपूर्ति लगभग समान रही है. प्रवक्ता ने बताया कि फॉस्फेटिक उर्वरकों का उपयोग ड्रिल बिजाई के समय किया जाता है. यूरिया को आमतौर पर फसल में टॉप-ड्रेसिंग के रूप में उपयोग किया जाता है.
किसानों ने खोजा डीएपी का विकल्प
इस साल हरियाणा में सबसे ज्यादा किल्लत डीएपी (DI-Ammonium Phosphate) की थी. जब यह खाद नहीं मिली तो किसानों ने इसके विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) का इस्तेमाल किया. जिसे सरसों की खेती के लिए बेहतर बताया गया. सिंगल सुपर फास्फेट में यूरिया मिलाकर खेत में डाला गया.
एसएसपी में सल्फर, कैल्शियम भी रहता है जो डीएपी में नहीं है. लेकिन एसएसपी में नाईट्रोजन की मात्रा शून्य है वहीं डीएपी में यह 18 फीसदी होता है. इसलिए नाइट्रोजन के लिए एसएसपी का यूरिया के साथ इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. उधर, डीएपी में 46 फीसदी फास्फोरस होता है वहीं एसएसपी में सिर्फ 16 फीसदी. इसलिए एसएसपी का प्रयोग डीएपी की तुलना में तीन गुना ज्यादा करने को कहा गया.