वाटर शेड स्कीम में घोटाला करने का आरोप, एडीसी कार्यालय में तैनात 6 अधिकारियोें पर मामला दर्ज
फतेहाबाद में वाटर शेड स्कीम के तहत उस समय एडीसी कार्यालय में तैनात रहे छह अधिकारियों ने घोटाला करने का आरोप लगा है।
फतेहाबाद। फतेहाबाद में वाटर शेड स्कीम के तहत उस समय एडीसी कार्यालय में तैनात रहे छह अधिकारियों ने घोटाला करने का आरोप लगा है। पुलिस ने इस मामले में छह साल बाद अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में रंजीत सिंह सहायक परियोजना अधिकारी एडीसी कार्यालय फतेहाबाद, नरेंद्र पाल सिंह पूर्व सहायता योजना अधिकारी, सुभाष चंद्र सैनी, हरज्ञान सिंह, अजय कुमार और जगदीश चंद्र के खिलाफ पुलिस ने धारा 409 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने यह मामला विशेष सचिव एवं निदेशक ग्रामीण विकास विभाग हरियाणा पत्राचार के बाद दर्ज किया गया है।
इस मामले की शिकायत मार्च 2015 में दी गई थी। शिकायत के अनुसार वाटर शेड स्कीम के तहत घटिया किस्म की पाइपें खरीदी गई। इसके अलावा कुछ जगहों पर वाटर शेड स्कीम के तहत काम भी नहीं हुआ। यहीं कारण है कि इस मामले की जांच छह साल तक चलती रही। पुलिस ने अब जिन लोगों पर मामल दर्ज किया है, उसमें एक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। इस मामले की जांच अब जांच अधिकारी प्रदीप कुमार करेंगे। जांच में ही सामने आएगा कि इन लोगों ने कितने रुपये का घोटाला किया है।
क्या है वाटर शेड स्कीम
वाटरशेड कार्यक्रम का शुभारंभ 1994-95 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण के लिए वर्षा के जल के बहाव की गति को कम कर, जल में मृदा अवसाद को कम किया जाए। वर्षा की बूंदों को भूमि की सतह पर रोककर मिट्टी के कटाव के साथ जल को संरक्षित किया जाना है। जिससे भूजल स्तर बढ़ने के साथ-साथ बाद में इसका उपयोग सिंचाई एवं अन्य कार्यों में किया जाए। सूखा प्रभावित और मरुस्थलीय क्षेत्रों में वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम द्वारा फसल एवं पशुधन पर सूखे के प्रभाव को काफी हद कम किया जाता है। मामले की शिकायत आने के बाद केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने सरकारी रुपयों का दुरुपयोग करने का मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
प्रदीप कुमार, जांच अधिकारी शहर पुलिस फतेहाबाद।