साबरमती आश्रम की पुनर्विकास योजना के खिलाफ तुषार गांधी पहुंचे हाईकोर्ट, गुजरात सरकार के फैसले को दी चुनौती
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर साबरमती आश्रम की पुनर्विकास योजना को चुनौती दी है।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर साबरमती आश्रम की पुनर्विकास योजना को चुनौती दी है। गुजरात सरकार इस आश्रम का जीर्णोद्धार करने जा रही है। तुषार गांधी की पीआईएल पर हाईकोर्ट में दिवाली अवकाश के बाद सुनवाई हो सकती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम में लंबे समय तक रहे थे और यह देश के आजादी के आंदोलन से करीबी से जुड़ा रहा है। गुजरात सरकार 54 एकड़ में फैले इस आश्रम व इसके आसपास स्थित 48 हेरिटेज प्रॉपर्टी को विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है।
महात्मा गांधी के तीसरे पुत्र मनिलाल के अरुण गांधी के बेटे तुषार गांधी ने बुधवार को बताया कि पीआईएल में मैंने गुजरात सरकार की 1200 करोड़ रुपये की गांधी आश्रम मेमोरियल व प्रेसिंक्ट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को चुनौती दी है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि यह राष्ट्रपिता की इच्छा व उनके दर्शन के खिलाफ है। याचिका में गुजरात सरकार, साबरमती आश्रम की विभिन्न गतिविधियों की देखभाल करने वाले छह ट्रस्टों, गांधी स्मारक निधि नामक चेरिटेबल ट्रस्ट, अहमदाबाद नगर निगम तथा प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य सभी लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है।
लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने इन ट्रस्टों से सवाल किया कि वे अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभा पा रहे हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को इसमें दखलंदाजी की इजाजत नहीं देना चाहिए, क्योंकि गांधी स्मारक निधि का संविधान कहता है कि बापू आश्रम व स्मारकों को सरकार व राजनीतिक प्रभाव से दूर रखा जाना चाहिए। जब गांधी स्मारक बना था, तब सरकार से एक पैसा भी नहीं लिया गया था। बाद में संविधान में संशोधन कर इन स्मारकों की देखभाल के लिए सरकार से फंड लेने की इजाजत दी गई, लेकिन सरकार की भूमिका फंडिंग तक ही सीमित रखी गई, उसे अपने स्तर पर कोई कदम उठाने का अधिकार नहीं दिया गया।