कोर्ट ने कहा- पत्नी इच्छा से अलग हो रही है तो खुराकी अर्जी मंजूर होने के पात्र नहीं
अर्जी मंजूर होने के पात्र नहीं
अपना जीवन निर्वाह करने के लिए पत्नी के गुजारा भत्ता की अर्जी को कोर्ट ने नामंजूर किया है और कहा है कि पत्नी अगर इच्छा और अपनी मर्जी से अलग रहती है तो भरण पोषण अर्जी मंजूर होने के पात्र नहीं है। प्रकरण के अनुसार नवंबर 2008 को वर्ष मैनाक डे की शादी मनोज नाम के युवक से कोलकाता में हुई थी। शादी के बाद उनका एक बेटा है।
बार-बार मायके चली जाती थी पत्नी
शादी के बाद पत्नी अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती थी और बार-बार अपने पति को कहे बिना वह अपने मायके चली जाती थी। जिसको लेकर पति-पत्नी के बीच कई बार अनबन होती थी। यह सब होने के बाद दोनों पक्षकारों के बीच एक-दूसरे की मर्जी से नोटरी के माध्यम से तलाक हो गया। तलाक के बाद बेटे की सारी जिम्मेदारी पति ने ले ली थी। उसके बाद पत्नी ने सीआरपीसी 125 के तहत पति के विरुद्ध भरण-पोषण भत्ता चुकाने की अर्जी सूरत के फैमिली कोर्ट में की थी। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अभी भी पत्नी अपने पति से तलाक लेने के बाद अपने परिवार से अलग रहकर नौकरी करती आ रही है।
अभी भी पत्नी अपने पति से तलाक लेने के बाद अपने परिवार से अलग रहकर नौकरी करती आ रही है।
पत्नी नौकरी कर अपना गुजारा करने में सक्षम है-पति
अर्जी में पत्नी ने बताया कि पति के साथ तलाक हो जाने तथा आवक का कोई जरिया ना होने से यह अर्जी की है। इसके बाद पति भी कोर्ट में हाजिर हुआ और पति की तरफ से अधिवक्ता सोनल शर्मा ने दलील की थी। दलील में उन्होंने बताया कि पत्नी शादी से पहले अपने परिवार से अलग रहकर नौकरी कर अपना गुजारा करने में सक्षम थी। अभी भी पत्नी अपने पति से तलाक लेने के बाद अपने परिवार से अलग रहकर नौकरी करती आ रही है।
खुराकी अर्जी कायदा अनुसार मंजूर होने के पात्र नहीं
अब पत्नी अपनी इच्छा से अपने पति से अलग हुई है और अपना जीवन गुजार रही है। ऐसे में फैमिली कोर्ट में पति पर की गई गुजारा भत्ते की अर्जी को नामंजूर कर दिया। इसके अलावा पत्नी ने यह भी कहा कि इससे पहले जो तलाक को लेकर लिखा-पढ़ी हुई है वह भी गलत है, लेकिन इस बात को साबित करने के लिए कोर्ट में उसने कोई सबूत रिकॉर्ड पर जमा नहीं कराए। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की है कि पत्नी इच्छा से और मर्जी से अलग रहती है तो खुराकी अर्जी कायदा अनुसार मंजूर होने के पात्र नहीं है।