गवाह पहचान ना सके इसलिए हुलिया बदलते रहते थे आरोपी

Update: 2022-02-20 16:19 GMT

अहमदाबाद (Ahmedabad) की एक विशेष अदालत ने कहा है कि 2008 में शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों (Serial Bomb Blast) के आरोपी अपना हुलिया बदलते रहते थे ताकि अभियोजन गवाहों को उन्हें पहचानने में परेशानी हो. विशेष न्यायाधीश ए.आर. पटेल की अदालत ने शुक्रवार को अहमदाबाद श्रंखलाबद्ध धमाकों के मामले में आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahiddin) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई थी. उन हमलों में 56 लोगों की मौत हुई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे. अदालत ने इस मामले में आईएम से जुड़े 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
विशेष अदालत द्वारा 49 लोगों को दोषी ठहराए जाने के 10 दिन बाद सजा सुनाई गई थी. 28 अन्य को बरी कर दिया गया था. देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अदालत ने एक साथ इतने लोगों को मौत की सजा सुनायी. अदालत की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड किए गए 7,015 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा कि उसने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाह आरोपियों को पहचान न सकें, इसके लिये आरोपी अलग-अलग हथकंडे अपना रहे थे.

सितंबर 2021 तक चली मामले की सुनवाई के दौरान 1,163 गवाहों से पूछताछ की गई. अदालत ने कहा कि गवाह पहचान सकें, इसके लिए आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए छोटे-छोटे समूहों में अदालत में पेश किया जाता था. अदालत ने कहा कि इस दौरान आरोपी कई तरह के हथकंडे अपनाते थे, जैसे कि अपने हाव-भाव बदलना, अलग-अलग पोशाक पहनना, टोपी या चश्मा पहनना या हटाना और अपनी दाढ़ी का आकार बदलना आदि.

अदालत ने कहा कि इन प्रयासों के बावजूद कई गवाह कई आरोपियों की पहचान करने में कामयाब रहे, और जो लोग अदालत के सामने ऐसा नहीं कर सके, उन्होंने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष पहचान परेड के दौरान उन्हें पहचान लिया. अदालत ने कहा कि 10-12 गवाहों को छोड़कर, अन्य सभी ने घटना के बारे में जो कुछ भी पता था, उसका विवरण प्रदान किया.

अदालत ने कहा कि कई गवाह लंबे अंतराल के कारण आरोपियों की पहचान नहीं कर सके. दोषी फिलहाल देश भर की विभिन्न जेलों में बंद हैं, जिनमें अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल, दिल्ली की तिहाड़ जेल और भोपाल, गया, बेंगलुरु, केरल और मुंबई की जेलें शामिल हैं.

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