इशारा किया और 200 रुपए देते ही गांजे की पुड़िया हाथ में आइये जानते हैं विस्तार में
गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित बांसवाड़ा में नशे का कारोबार जड़ें जमा रहा है। ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थ की बिक्री यहां बेरोकटोक हो रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | गुजरात और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित बांसवाड़ा में नशे का कारोबार जड़ें जमा रहा है। ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थ की बिक्री यहां बेरोकटोक हो रही है। आए दिन सामने आ रहे मामलों के बाद भी पुलिस इस तरह के अवैध कारोबार को रोकने में विफल रही है। ये नशीला पदार्थ कहां से आता है और युवाओं के हाथ ये कहां से लगता है, पुलिस इससे भी बेखबर है। भास्कर के स्टिंग ने उनके चेहरे उजागर कर दिए हैं, जो युवाओं को जहर दे रहे हैं।
नगर परिषद बांसवाड़ा के परिसर से सटकर सब्जी विक्रेताओं के बीच लगा हुआ ठेला।
सबसे व्यस्त इलाके में बिक रहा नशा
बांसवाड़ा में नशे के कारोबार को पकड़ने के लिए भास्कर ने अपने स्टिंग में शहर के चप्पे-चप्पे पर 7 दिन तक नजर रखी। हैरान करने वाली बात ये है कि नशा किसी सुनसान इलाके में नहीं, बल्कि सबसे व्यस्त इलाके में आसानी से उपलब्ध हो रहा है। वह भी नगर परिषद की दीवारों से सटे इलाकों में।
क्लू मिला तो चेहरे तक पहुंच गई टीम
स्टिंग के दौरान क्लू मिला तो भास्कर की टीम स्टूडेंट बनकर मुख्य चेहरे तक पहुंचने के लिए निकल पड़ी। इशारे और कोड के जरिए इलाके में नशा खरीदा और बेचा जाता है। नगर परिषद के मुख्य द्वार के सहारे सब्जी विक्रेताओं की लाइन में चना-मूंगफली वाले के पास गांजा मिला। युवक मात्र 200 रुपए में गांजा बेच रहा था। ग्राहक बनकर टीम ने उससे 200 रुपए वाली पुड़िया मांगी। पहले तो उसने नया चेहरा देखकर पुड़िया देने से इनकार कर दिया। उससे कहा कि यहां से पहले भी ले गए हैं। इस पर लॉरी संचालक अवैध कारोबारी ने कहा कि पहले उसके लड़के ने दे दिया होगा। वहीं रुके रहने पर कुछ वार्तालाप के बाद लॉरी चालक ने दैनिक भास्कर की टीम को पुड़िया निकालकर सौंप दी, हालांकि उसने इससे पहले पूरी जानकारी लेने की कोशिश की।
200 रुपए मिलते ही इस तरह काले रंगी थैली में दी गांजे की पुड़िया।
लारी से दूर डिब्बे पर बैठता है एक आदमी
जब, लॉरी वाले को हमारी बातों पर पूरा भरोसा हो गया तो उसने लॉरी के पास लाल रंग का कलर बाल्टी नुमा डिब्बा लेकर बैठे एक व्यक्ति को आवाज दी और डिब्बे को लॉरी पर लिया। उसमें से काली थैली में दो पुड़िया दीं और कीमत 5 सौ रुपए मांगी। हमने भी स्टिंग पूरा करने के लिए उससे दो पुड़िया ले लीं। लॉरी चलाने वाले व्यक्ति ने वह डिब्बा वापस से उसी व्यक्ति को पकड़ा दिया।
काली थैली में मिली दो गांजे की पुड़िया। गांजे के साथ गोगो है। जिसमें भरकर इसे पीते हैं।
पीने के लिए गोगो
गांजा मिलने के बाद स्टिंग खत्म नहीं हुआ। हमने इसका उपयोग करने वाले युवाओं की तलाश की। तभी लॉरी पर पुड़िया (काली थैली) लेने पहुंचे दो युवाओं को हमने कुछ दूरी पर रोका। उनको पुड़िया दिखाकर विश्वास में लिया। तब उन्होंने इसका उपयोग गोगो (तंबाकू रहित सिगरेट जैसा दिखने वाला पेपर पाइप) से करने की बात कही। पूछताछ पर पता चला कि गोगा शहर में किसी भी पान के गल्ले पर मिल जाएगा। दैनिक भास्कर की दूसरी पड़ताल में पता चला कि शहर के सबसे पॉश इलाके में मोहन कॉलोनी में पान की दुकानों पर गोगो आसानी से उपलब्ध है।