शिंदे को शिवसेना का नाम-सिंबल देने के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे
देने के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। चुनाव आयोग ने 17 फरवरी 2023 को एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चिन्ह इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। उद्धव ने आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बैंच ने मामले को लेकर कहा, जम्मू-कश्मीर पर संविधान पीठ की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करें। उसके बाद हम तारीख देंगे।
उद्धव ने इलेक्शन कमीशन के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी
उद्धव गुट के वकील अमित आनंद तिवारी ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से तत्काल सुनवाई की अपील की थी। याचिका में चुनाव आयोग के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी।
इस पर कोर्ट ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की थी। लेकिन कोर्ट में अन्य केस होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो पाई थी।
उद्धव की याचिका में चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया- आयोग प्रतीक आदेश के पैरा 15 के तहत ऐसे विवाद की स्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहा है।
आयोग ने अपनी संवैधानिक स्थिति को कमजोर करने का काम किया है। उद्धव गुट के पास बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ताओं का समर्थन है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी को एकनाथ शिंदे और इलेक्शन कमीशन से उद्धव गुट की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि उसने अपनी क्षमता के तहत बेहतर आदेश दिया है। शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी के प्रतीक का दर्जा देना ही सही था।
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शिंदे की हुई शिवसेना, तीर-कमान निशान भी मिला, चुनाव आयोग बोला- उद्धव गुट ने चुनाव बगैर लोगों को नियुक्त किया
चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया है। आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ासुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। चुनाव आयोग ने 17 फरवरी 2023 को एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चिन्ह इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। उद्धव ने आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बैंच ने मामले को लेकर कहा, जम्मू-कश्मीर पर संविधान पीठ की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करें। उसके बाद हम तारीख देंगे।
उद्धव ने इलेक्शन कमीशन के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी
उद्धव गुट के वकील अमित आनंद तिवारी ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से तत्काल सुनवाई की अपील की थी। याचिका में चुनाव आयोग के फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी।
इस पर कोर्ट ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की थी। लेकिन कोर्ट में अन्य केस होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो पाई थी।
उद्धव की याचिका में चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया- आयोग प्रतीक आदेश के पैरा 15 के तहत ऐसे विवाद की स्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहा है।
आयोग ने अपनी संवैधानिक स्थिति को कमजोर करने का काम किया है। उद्धव गुट के पास बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ताओं का समर्थन है।
सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी को एकनाथ शिंदे और इलेक्शन कमीशन से उद्धव गुट की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि उसने अपनी क्षमता के तहत बेहतर आदेश दिया है। शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी के प्रतीक का दर्जा देना ही सही था।
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चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया है। आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने के लिए इसे बिगाड़ा