गुजरात: 250 से ज्यादा डाकघरों का विलीनीकरण, जनता डाकसेवा से वंचित

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Update: 2022-05-05 18:10 GMT

गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर प्रहार करते कहा कि गुजरात में 250 ज्यादा डाकघर व उप डाकघरों पर विलीनीकरण के नाम ताला लगा दिया है। इसके चलते आमजन डाकसेवा से वंचित हो रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सामान्य परिवारों के लिए डाक सेवा काफी अहम है, लेकिन पिछले आठ वर्षों से केन्द्र सरकार को सौतेले व्यवहार से आमजन की परेशानी बढ़ी है। गुजरात में डाकघरों को विलीनीकरण के बहाने बंद किया जा रहा है। ऐसे में नजदीकी डाकघर नहीं होने से बुजुर्ग और विधवा महिलाओं के साथ-साथ सरकारी योजना का लाभ और सामाजिक योजनाओं की सहायता पाने वालों को काफी दिक्कत हो रही है। इन्टरनेट कनेक्टीविटी स्पीड बड़ी समस्या बन गई है। बारंबार सर्वर फेल होने से डाक सेवा के लिए डाकघरों में जाने वालों का समय बिगड़ता है।
ऐसा लगता है केन्द्र सरकार निजी कुरियर सेवाओं को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 18 माह से डाककर्मियों को महंगाई भत्ता नहीं मिला। डाककर्मियों के लिए नई पेंशन रद्द कर पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करना चाहिए।

किसानों के लिए कर्जमाफी हो या राहत योजना की घोषणा
पिछले कई वर्षों से किसान कर्ज के बोझ से दबे हैं। पिछले दो वर्षों से तो कोरोना जैसी महामारी में किसान परेशान हैं। किसानों को उनकी पैदावार के पर्याप्त दाम नहीं मिल रहे है। ऐसे में किसानों की कर्जमाफी या राहत योजना की घोषणा करनी चाहिए। धंधुका के विधायक राजेश गोहिल ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को पत्र लिखकर यह मुद्दा उठाया है।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष तौकते चक्रवात में गुजरात के किसान बर्बाद हो गए। रासायनिक दवाइयों एवं खाद के दामों में काफी बढोतरी हो गई है। डीजल के दाम आसमान छू रहे है। नियमित बारिश नहीं होने एवं बेमौसमी बारिश से फसलों को नुकसान हो रहा है। धरतीपुत्र किसान कर्ज को बोझ से दब चुके हैं। ऐसे में राज्य सरकार को किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने यदि किसानों को कर्ज माफ या राहत की घोषणा नहीं की गई तो आगामी समय में आंदोलन किया जाएगा।


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