अहमदाबाद: 2002 में गोधरा कांड के बाद हुई हिंसा में 69 लोगों की जान जाने के बाद से चमनपुरा में गुलबर्ग सोसाइटी एक उजाड़ जगह बनी हुई है। यहां तक कि इसके पूर्व निवासी भी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के लिए वर्ष में केवल एक बार ही इस स्थान पर आते हैं।बाईस साल बाद, एक ख़ुशी का मौका गुलबर्ग के दरवाजे पर दस्तक देने आया। सोसायटी, जो व्यावहारिक रूप से पड़ोस में रहने वाले लोगों के लिए वाहन पार्किंग क्षेत्र में बदल गई है, वहां बिना किसी धूमधाम के उत्सव मनाया गया।
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