देश का पहला स्कूल ऑफ एक्सीलेंस सेंटर: गुजरात के 54 हजार स्कूलों पर गांधीनगर से रखी जाएगी नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर से देश के पहले स्कूल ऑफ एक्सीलेंस सेंटर-विद्या समीक्षा केंद्र की शुरुआत कर रहे हैं।

Update: 2022-04-18 17:19 GMT

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर से देश के पहले स्कूल ऑफ एक्सीलेंस सेंटर-विद्या समीक्षा केंद्र की शुरुआत कर रहे हैं। शिक्षण क्षेत्र में आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस इस केंद्र से राज्य की करीब 54 हजार प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शालाओं के 2.5 लाख से अधिक शिक्षक और 1.15 करोड़ से अधिक छात्रों को एजुकेशन से जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकेंगी। गांधीनगर में स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर विद्या समीक्षा केंद्र क्या है? यह किस तरह काम करेगा और इससे क्या फायदा मिलेगा? आईए जानते में विस्तार से...


विद्या समीक्षा केंद्र क्या है?
गुजरात में लगभग 2.4 लाख शिक्षक हैं, पर्यवेक्षण के लिए करीब 10 हजार का स्टाफ मिलाकर 2.5 लाख से अधिक कर्मचारी हैं, जो राज्य सरकार के कुल कर्मचारियों का लगभग 51% है। इन सभी कर्मचारियों व स्टूडेंट्स की प्रभावी मॉनिटरिंग, सपोर्ट व सुधार के लिए टेक्नोलॉजी आधारित प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य था।

इसी के तहत वर्ष 2019 में पहली बार शिक्षा विभाग द्वारा देश का पहला कमांड एंड कंट्रोल सेंटर फॉर एजुकेशन (सीसीसी) गुजरात में सभी रियल टाइम ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए लॉन्च किया गया था। इसके माध्यम से राज्य के छात्रों के सीखने के परिणामों में आवश्यक डेटा आधारित इनपुट के साथ-साथ आवश्यक सुधार प्रदान करने और सीखने की सफलता के ग्राफ को बढ़ाने के लिए विद्या समीक्षा केंद्र में विभिन्न गतिविधियाँ की जाती हैं। डेटा एकत्र किया जाता है और शिक्षा विभाग के साथ-साथ सीएम के डैशबोर्ड पर भी प्रदान किया जाता है।
क्या फायदा होगा?
राज्य के महानगरों से लेकर दुर्गम पहाड़ियों पर स्थित आदिवासी इलाकों के स्कूल, स्टूडेंट्स और टीचर्स का सीधी मॉनिटरिंग इस केंद्र से हो सकेगी। इसमें ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शामिल हुआ जा सकेगा। वीडियो कॉल से भी शिक्षकों की लगातार मॉनिटरिंग कर डेटा एकत्र किया जा सकेगा। वीडियो कॉलिंग से इसकी भी मॉनिटरिंग की जा सकेगी कि स्टूडेंट्स को क्या और किस तरह पढ़ाया जा रहा है। हरेक छात्र की परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं कंट्रोल सेंटर में बैठे-बैठे देखी जा सकेंगी।

इससे और क्या फायदा होगा?
शिक्षकों के कागजी कार्यभार को कम किया जा सकेगा। ऑनलाइन पोर्टल के जरिए स्कूलों के मुख्य शिक्षकों पर से कागजी कार्यभार को कम किया जाएगा। इससे टीचर्स का समय बचेगा और वे अधिक समय स्टूडेंटस को दे पाएंगे। केंद्र से टीचर्स और स्टूडेंट्स की उपस्थिति भी ऑनलाइन की जाएगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में देरी से य रोजाना स्कूल न पहुंचने वाले टीचर्स की मॉनिटरिंग हो सकेगी।


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