बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने शीर्ष अदालत से पूछा

Update: 2023-08-01 05:25 GMT

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उच्चतम न्यायालय से राहुल गांधी की उस अपील को खारिज करने का सोमवार को आग्रह किया, जिसमें कांग्रेस नेता ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का आग्रह किया है। पूर्णेश मोदी ने कहा कि गांधी ने मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को खासकर गुजरात के ‘मोध वणिक’ जाति से संबंधित लोगों का अपमान किया है। गांधी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था, “सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है?” इसे लेकर पूर्णेश मोदी ने 2019 में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में गांधी को इस साल मार्च में सूरत की एक अदालत ने दो साल कैद की सज़ा सुनाई थी और गुजरात उच्च न्यायालय ने सात जुलाई को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

इसके बाद कांग्रेस नेता ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसने 21 जुलाई को गुजरात सरकार समेत संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। शीर्ष अदालत में गांधी की अपील पर नोटिस के अपने जवाब में पूर्णेश मोदी ने कहा, “यह स्थापित कानून है कि असाधारण कारणों से दुर्लभतम मामलों में दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है। याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) का मामला स्पष्ट रूप से उस श्रेणी में नहीं आता है। इसके अलावा, यह सम्मानपूर्वक निवेदन किया जाता है कि निचली अदालत द्वारा याचिकाकर्ता (गांधी) की दोषसिद्धि का आदेश रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर दिया गया है।” वकील पीएस सुधीर के जरिये दायर किए गये 21 पन्नों के जवाब में पूर्णेश मोदी ने कहा कि जिरह के दौरान गांधी अभियोजन पक्ष के मामले में कोई कमी नहीं ढूंढ पाये और उन्होंने व्यावहारिक रूप से मोदी उपनाम वाले सभी व्यक्तियों की मानहानि की बात स्वीकार की है।

भाजपा नेता ने कहा कि गांधी का रवैया उन्हें सजा पर रोक जैसी किसी भी राहत पाने से रोकता है, क्योंकि यह अहंकार, अपमानित समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता और कानून के प्रति अवमानना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूतों को देखते हुए दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता है। शीर्ष अदालत गांधी की अपील पर चार अगस्त को सुनवाई करेगा। पूर्णेश मोदी ने कहा कि गांधी ने दुर्भावनापूर्ण और लापरवाही से समान उपनाम और जाति वाले एक बड़े तथा पूरी तरह से निर्दोष वर्ग के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जबकि इस समुदाय के लोगों ने कांग्रेस नेता को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।” उन्होंने कहा, “यह बयान देश के एक चुने हुए प्रधानमंत्री के प्रति व्यक्तिगत घृणा के कारण दिया गया था और घृणा की सीमा इतनी अधिक थी कि याचिकाकर्ता ने उन लोगों पर घोर मानहानिकारक आक्षेप लगा दिए, जिनका उपनाम संयोग से प्रधानमंत्री के समान है।”

पूर्णेश मोदी ने कहा कि जिस अपराध के लिए याचिकाकर्ता को निचली अदालत ने दोषी ठहराया है, उसमें उन्होंने सोच विचार करके दुर्भावना से बयान दिया था और सजा के सवाल पर याचिकाकर्ता किसी सहानुभूति का पात्र नहीं है। पूर्णेश मोदी ने कहा कि अपराध के समय गांधी एक राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष और सांसद थे। उन्होंने यह भी कहा, “यह याचिकाकर्ता का कर्तव्य है कि वह देश में राजनीतिक विमर्श के उच्च मानक स्थापित करें और भले ही वह इस विश्वास के साथ प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक का उपयोग करना चाहते हों कि ऐसा विमर्श उचित है, तो भी उनके लिए पूरे समुदाय के लोगों को चोर बताने का कोई कारण नहीं है, वह भी सिर्फ इसलिए कि वे प्रधानमंत्री के समान उपनाम रखते हैं।” भाजपा नेता ने कहा कि गांधी ने गुजरात में मोदी उपनाम/मोदी उपजाति वाले सभी व्यक्तियों की दुर्भावनापूर्ण मानहानि के लिए माफी मांगने से इस आधार पर इनकार कर दिया है कि वह गांधी हैं, न कि सावरकर

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