अहमदाबाद Ahmadabad: केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को गुजरात के अहमदाबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत 188 शरणार्थियों को नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित किए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 ने उस सोच को पोषित किया जिसके कारण आतंक की फैक्ट्रियां पैदा हुईं और उनके चालू होने का मुख्य कारण था, उसे भी प्रधानमंत्री मोदी ने खत्म कर दिया। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि सीएए सिर्फ देश में बसे लाखों लोगों को नागरिकता देने के लिए नहीं है, बल्कि लाखों शरणार्थियों को न्याय और अधिकार देने के लिए है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण की नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को उनके अधिकार और न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इन लोगों को न केवल पड़ोसी देशों में बल्कि यहां भी दुर्व्यवहार सहना पड़ा। श्री शाह ने कहा कि ये लाखों लोग तीन पीढ़ियों से न्याय के लिए तरस रहे थे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की नीति के कारण उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय दिलाया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस देश के कई ऐसे मुद्दे थे जो दशकों से अटके हुए थे। जैसे कि 550 साल बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का काम पीएम मोदी ने ही किया।
इसी तरह औरंगजेब द्वारा तोड़े गए काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है, मोहम्मद बेगड़ा द्वारा तोड़े गए पावागढ़ के शक्तिपीठ का भी जीर्णोद्धार किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में तीन तलाक को खत्म करने का काम भी नरेंद्र मोदी ने ही किया। शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370, जिसने उस सोच को पोषित किया जिसके कारण आतंक की फैक्ट्रियां पैदा हुईं और उनके चालू होने का मुख्य कारण बनी, उसे भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही खत्म किया। इसी तरह नागरिकता कानून में संशोधन भी श्री नरेंद्र मोदी जी ने ही किया और करोड़ों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन भाईयों को न्याय दिलाया जो अपने अधिकारों से वंचित थे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के समय भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था और उस समय भीषण दंगे हुए थे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई अपने दुखों को कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि कई परिवार उजड़ गए, जबकि विपक्ष में बैठे लोगों ने तब वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता अपने वादों से मुकर गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए आश्वासनों को भूल गए। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इन लोगों को नागरिकता नहीं दी क्योंकि इससे उनका वोट बैंक नाराज हो जाता।
उन्होंने कहा कि उनकी तुष्टिकरण की नीति के कारण लाखों लोग नागरिकता से वंचित रह गए और इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कानून जनता के लिए होता है, जनता कानून के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम सीएए लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार यह कानून लेकर आई। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख जिन्हें न्याय नहीं मिलता था, उन्हें न्याय मिलना शुरू हुआ। श्री शाह ने कहा कि यह कानून 2019 में पास हुआ लेकिन उसके बाद भी लोगों को भड़काया गया और कहा गया कि इससे मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और यह नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि हमारे ही देश के लोग अपने ही देश में अभावों में जी रहे हैं, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबना क्या हो सकती है? श्री शाह ने कहा कि जो काम तुष्टिकरण की नीति के कारण कई वर्षों तक नहीं हो पाया, उसे प्रधानमंत्री मोदी ने करके दिखाया और 2019 में यह कानून लेकर आए। अमित शाह ने कहा कि 2019 में कानून पास होने के बाद भी इन परिवारों को 2024 तक नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे भड़काए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर देश में अफवाह फैलाई गई।
यह कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता और यह हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। श्री शाह ने कहा कि आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे बेझिझक नागरिकता के लिए आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून में किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे का प्रावधान नहीं है और सभी को माफी दी गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि नागरिकता देने में देरी सरकार की वजह से हुई, लोगों की वजह से नहीं। उन्होंने देशभर के शरणार्थियों से कहा कि यह कानून न्याय और सम्मान देने का काम करेगा और शरणार्थी लोगों के साथ जो अत्याचार हुए, उसका प्रायश्चित होगा। अमित शाह ने कहा कि जब बंटवारा हुआ तो बांग्लादेश में 27 फीसदी हिंदू थे, आज सिर्फ 9 फीसदी बचे हैं। उन्होंने पूछा कि बाकी हिंदू कहां गए?