गोविंद सागर बांध के गेट होंगे मोटराइज्ड

स्लोप करेंगे दुरुस्त

Update: 2023-08-16 07:47 GMT

झाँसी: फसलों की सिंचाई के अलावा शहरवासियों के साथ कई गांवों की प्यास बुझाने वाले गोविंद सागर बांध तकनीकी रूप से एडवांस होने जा रहा है. इसके सभी गेट मोटराइज्ड होंगे और डाउनस्ट्रीम के स्लोप को भी दुरुस्त किया जाएगा. प्री स्क्रीनिंग टैप्लेट रिपोर्ट तैयार होते ही विश्वबैंक इस परियोजना को अप्रूवल दे देगा. इसके लिए अधिशासी अभियंता आरएनके मनमोहन सिंह जुटे हुए हैं.

जनपदवासियों के लिए गोविंद सागर बांध बेहद अहम है. इसमें 96.79 मिलियन घन मीटर पानी भंडारित होता है, जिससे इस्तेमाल रजवारा, पनारी, बरखिरिया, कचनौंदा, हनुपुरा, वस्त्रत्तवन, डुलावन, दशरारा, टोड़ी, छोटी, रोड़ा, भीतर हद सहित कुल 61 गांवों में 20,500 हेक्टेयर फसलों की सिंचाई करते हैं. साथ ही शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की पाइप पेयजल योजनाओं के लिए इसी बांध से कच्चा पानी भेजते हैं. बड़ी संख्या में लोग इस बांध के पानी से प्यास बुझाते हैं. सात दशक पुराने इस बांध को तकनीकी ढंग से उच्चीकृत होने व मरम्मत की दरकार है. फिलहाल इसके 18 गेटों को मैनुवाली खोलना पड़ता है. जिसमें समय अधिक लगता है. इसलिए गेटों को मोटराइज्ड कराया जाने की जरूरत काफी दिनों से महसूस हो रही थी. डाउन स्ट्रीम का स्लोप कई स्थान पर कमजोर व मरम्मत लायक हो चुका है. साइफन खुलने के बाद गोविंद नगर में कांशीराम कालोनी तक बाढ़ के हालात पैदा होने वाली समस्या भी सिरदर्द बनती है. इन स्थितियों से निपटने के लिए राजघाट निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता ने डैम रिहैविलटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट के तहत 18 करोड़ 88 लाख रुपये की एक कार्ययोजना शासन को भेज रखी है. जिसमें बांध के गेटों को मोटराइज्ड करने के साथ ही इसकी वुडेनसील को बदलकर रबरसील लगाएंगे, स्पिलवे के सीसी ब्लाकों को भी दुरुस्त करेंगे. दोनों कैनाल के गेटों की वुडनशील बदली जाएगी. कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हुए डाउनस्ट्रीम के स्लोप को भी दुरुस्त किया जाएगा. सबसे अहम काम डायवर्जन चैनल बनाने का होगा. इसके माध्मय से सायफन खुलने पर कांशीराम कालोनी में बाढ़ को नियंत्रित करेंगे.

यह चैनल पानी के बहाव को घुमाव देगा और हजारों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. लगातार बढ़ रही आबादी व बनाए जा रहे भवनों को ध्यान में रखकर अधिशासी अभियंता ने विभागीय भूमि सुरक्षित रखने के लिए तलहटी के आस पास चहारदीवारी बनाएंगे. इस परियोजना को शासन ने प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति देकर विश्वबैंक पोषित कर दिया. विश्वबैंक 70 व राज्य 30 प्रतिशत परियोजना को धनराशि जारी करेगा. विश्व बैंक ने सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्री स्क्रीनिंग टैप्लेट रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद वह अप्रूवल देगा और महत्वपूर्ण परियोजना पर काम प्रारंभ होगा.

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