मध्य प्रदेश के 15 जिलों में नशे का कारोबार तेजी से फैल चुका

नशे का कारोबार

Update: 2022-06-24 15:46 GMT

भोपाल. मध्य प्रदेश भी उड़ता पंजाब बनता जा रहा है. यहां नशे का धंधा तेजी से पैर पसार रहा है. ग्वालियर संभाग नशे का कॉरिडोर बन गया है. इसी के रास्ते पूरे प्रदेश और दूसरे राज्यों में तमाम तरह के मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है. तस्करों का बड़ा नेटवर्क माल सप्लाई करने के लिए सड़क और रेल दोनों मार्गों का इस्तेमाल कर रहा है.

मध्यप्रदेश में नशे का कॉरिडोर ग्वालियर संभाग बन गया है. इसी के जरिए प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी मादक पदार्थों की सप्लाई हो रही है. झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश से अफीम, गांजा, डोडा चूरा की सप्लाई ग्वालियर के जरिए ट्रेन और सड़क मार्ग से होती है. नशे की चपेट में प्रदेश के 15 जिले आ चुके हैं.

ग्वालियर बना कॉरिडोर

मध्य प्रदेश के 15 जिलों में नशे का कारोबार तेजी से फैल चुका है. बाहरी राज्यों से एमपी के बॉर्डर इलाके ग्वालियर-चंबल संभाग में नशीले पदार्थों की खेप पहुंचती है और फिर यहां से पूरे प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में माल आगे बढ़ा दिया जाता है. ग्वालियर के इसी कॉरिडोर से नशे का कारोबार कई साल से चल रहा है. पुलिस की नजर से बचने के लिए तस्कर अलग अलग तरीके से मादक पदार्थ स्मगलिंग करते हैं. इन जिलों की क्राइम ब्रांच और नारकोटिक्स डिपार्टमेंट लगातार सक्रिय है लेकिन तस्करों पर रोक नहीं लग पा रही है.


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