कोर्ट ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को फटकारा : किसानों को तंग करते हैं, बड़ी मछलियों को पकड़ते नहीं

मामले में कानून के अनुरूप उचित फैसले का रास्ता खुला है.

Update: 2022-05-18 13:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) को लताड़ लगाई है. न्यायालय ने बैंक को किसानों के एकमुश्त निपटान (ओटीएस- One time settlement) प्रस्ताव को स्वीकार करने और उन्हें स्वीकृति पत्र जारी करने का निर्देश दिया है.इस मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र की खिंचाई करते हुए कहा, 'आप बड़ी मछलियों को नहीं पकड़ते, सिर्फ गरीब किसानों को परेशान करते हैं.'जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश का संज्ञान लेते हुए कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और वे इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे.पीठ ने 13 मई को पारित अपने आदेश में कहा, 'मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के बारे में हमारा विचार है कि उच्च न्यायालय का निर्देश अत्यंत न्यायसंगत और निष्पक्ष है. इसलिए न्यायालय के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करे. ऐसे में विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं.'

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'आप बड़ी मछलियों (बड़े लोगों या कंपनियों) के पीछे नहीं जाते और केवल गरीब किसानों को परेशान करते हैं, जिन्होंने 95 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया है. इन किसानों ने ऋण लेकर ओटीएस योजना के तहत निर्धारित राशि का प्रस्ताव स्वीकार कर 36.50 लाख रुपये का 95.89 प्रतिशत निर्धारित समय में जमा करा दिया है.'पीठ ने बैंक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद से कहा कि वे एकतरफा तरीके से समझौता राशि को बढ़ाकर 50.50 लाख रुपये नहीं कर सकते, क्योंकि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ और तर्कहीन है.जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में इस तरह के मुकदमे से किसानों के परिवारों को भारी वित्तीय नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, 'हमें खेद है कि हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते. इस मामले में कानून के अनुरूप उचित फैसले का रास्ता खुला है.'
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