संसद के विशेष सत्र में कांग्रेस का सवाल, बीजेपी चुनाव से पहले क्यों जागती

लोकसभा में हमारे पास संख्या नहीं थी।

Update: 2023-09-09 12:04 GMT

दिल्ली: संसद के पांच दिव्य विशेष सत्र से पहले उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने हाल ही में कहा था कि जब महिलाओं को संवैधानिक संशोधन के माध्यम से और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला तो वह एक दिन दूर नहीं थे। इस बयान के बाद देश भर में महिला तानाशाही पर बहस शुरू हो गई है। इस टिप्पणी को मॉडल ने महिला को स्केल करने की कोशिश की है। फ़्रांसीसी, जो महिलाओं के लिए विपक्ष और राज्य के क्षेत्रों में 33 प्रतिशत भाग का प्रस्ताव रखता है, 2010 में राज्यसभा द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष द्वारा इसे मंजूरी नहीं दी गई थी और बाद में इसे रद्द कर दिया गया था।

18-22 सितंबर को होने वाली संसद के विशेष सत्र के दौरान 18-22 सितंबर को आयोजित होने वाली विशिष्ट टिप्पणियों से यह स्पष्ट हो गया है कि 18-22 सितंबर को होने वाली विशिष्टताएं अभी तक सामने नहीं आई हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने एक इंटरव्यू से बात करते हुए कहा, ''इस पर सोनिया गांधी जी ने कई बार (सरकार को) पत्र लिखा था और कांग्रेस पार्टी की महिला नेता नवागत का समर्थन दिया था...'' (सोनिया गांधी) चाहती थीं कि यह मोक्ष (संसद में) लाया जाए।''

"लेकिन, वे (भाजपा) ऐसा क्यों नहीं करते? भाजपा और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की कमज़ोरी देखते हैं, उनकी कमज़ोरी सामने आ रही है। कभी-कभी वे समिति का गठन कर रहे हैं, असम का खुलासा न करते हुए विशेष सत्र बुलाते हैं रह रहे हैं, या इंडिया, भारत के बारे में बात कर रहे हैं।'' इसकी कीमत 200 रुपए कम के बारे में सोचा गया। यह स्पष्ट है कि वे (चुनाव के लिए) मुद्दा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।''

महिला कांग्रेस प्रमुख नेट्टा डिसूजा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "कांग्रेस हमेशा महिलाओं के राजनीतिक आरक्षण के लिए खड़ी रहती है। इस देश में कांग्रेस ही है, जो स्थानीय पर्यटन में पहले 33 प्रतिशत और फिर 50 प्रतिशत महिलाओं के राजनीतिक आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।" "संविधान को बढ़ावा दिया गया है।" बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने नवाचार किया था, हमने इसे साओजा में मंजूरी दे दी थी, लेकिन लोकसभा में हमारे पास संख्या नहीं थी।"

डिसूजा ने कहा, "बीजेपी को सत्ता में आए डेढ़ नौ साल हो गए हैं और वे अभी तक यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक इंच भी आगे नहीं बढ़े हैं कि शेयरधारक हो जाए।" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ महिला को मेमोरियल बनाने की कोशिश है... पिछले डेढ़ नौ साल में सरकार ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उसमें एक महिला के लिए घर बनाए रखना मुश्किल हो गया है। सरकार विफल हो गई है और वह विफल हो गई है।" ''महिलाओं को स्मारक बनाने की कोशिश कर रही है।''

"पिछले साढ़े नौ साल में महिलाओं से जुड़े हर मुद्दे पर सरकार की असंवेदनशीलता का आकलन है, यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की बहुतायत दर पर भी गौर किया गया है।" महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ ऑर्केस्ट्रा करने का ज्वालामुखी पहली बार 1996 में एच.डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार की शुरुआत की गई थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया, जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) के रूप में शुरू किया गया। यह कानून 2010 में सागर द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह कानून 2010 में जारी नहीं किया गया और 2014 में यह समाप्त हो गया।

यहां तक कि समाजवादी पार्टी और वामपंथी प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के जेडीयू ने भी "कोटे के अंदर कोटा" की मांग करते हुए, स्थिर ब्रांड के बाजारों का विरोध किया है। प्रोटोटाइप का तर्क यह है कि बराक में अल्प, अल्प, अति अल्प और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कोटा प्रस्तावित किया जाना चाहिए। संवैधानिक होने संशोधन के कारण इस ज्वालामुखी को दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। यह 2014 में बीजेपी की घोषणा पत्र का भी हिस्सा है।

बता दें कि धनखड़ ने इस सप्ताह की शुरुआत में जयपुर के एक कॉलेज में "राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी" विषय पर एक कार्यक्रम में प्रदर्शन करते हुए कहा था कि जब तक महिलाओं को संविधान के माध्यम से संसद और विधानसभाओं में संशोधन नहीं मिल जाता, तब तक वह दिन दूर नहीं हैं। उनका "उचित प्रतिनिधि" बनेगा। उन्होंने कहा कि अगर ये जल्द ही मिल जाए तो 2047 से पहले भारत विश्व शक्ति बन जाएगा।: संसद के पांच दिव्य विशेष सत्र से पहले उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने हाल ही में कहा था कि जब महिलाओं को संवैधानिक संशोधन के माध्यम से और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला तो वह एक दिन दूर नहीं थे। इस बयान के बाद देश भर में महिला तानाशाही पर बहस शुरू हो गई है। इस टिप्पणी को मॉडल ने महिला को स्केल करने की कोशिश की है। फ़्रांसीसी, जो महिलाओं के लिए विपक्ष और राज्य के क्षेत्रों में 33 प्रतिशत भाग का प्रस्ताव रखता है, 2010 में राज्यसभा द्वारा इसे मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन विपक्ष द्वारा इसे मंजूरी नहीं दी गई थी और बाद में इसे रद्द कर दिया गया था।
18-22 सितंबर को होने वाली संसद के विशेष सत्र के दौरान 18-22 सितंबर को आयोजित होने वाली विशिष्ट टिप्पणियों से यह स्पष्ट हो गया है कि 18-22 सितंबर को होने वाली विशिष्टताएं अभी तक सामने नहीं आई हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा ने एक इंटरव्यू से बात करते हुए कहा, ''इस पर सोनिया गांधी जी ने कई बार (सरकार को) पत्र लिखा था और कांग्रेस पार्टी की महिला नेता नवागत का समर्थन दिया था...'' (सोनिया गांधी) चाहती थीं कि यह मोक्ष (संसद में) लाया जाए।''
"लेकिन, वे (भाजपा) ऐसा क्यों नहीं करते? भाजपा और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की कमज़ोरी देखते हैं, उनकी कमज़ोरी सामने आ रही है। कभी-कभी वे समिति का गठन कर रहे हैं, असम का खुलासा न करते हुए विशेष सत्र बुलाते हैं रह रहे हैं, या इंडिया, भारत के बारे में बात कर रहे हैं।'' इसकी कीमत 200 रुपए कम के बारे में सोचा गया। यह स्पष्ट है कि वे (चुनाव के लिए) मुद्दा गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।''
महिला कांग्रेस प्रमुख नेट्टा डिसूजा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "कांग्रेस हमेशा महिलाओं के राजनीतिक आरक्षण के लिए खड़ी रहती है। इस देश में कांग्रेस ही है, जो स्थानीय पर्यटन में पहले 33 प्रतिशत और फिर 50 प्रतिशत महिलाओं के राजनीतिक आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।" "संविधान को बढ़ावा दिया गया है।" बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस ने नवाचार किया था, हमने इसे साओजा में मंजूरी दे दी थी, लेकिन लोकसभा में हमारे पास संख्या नहीं थी।"
डिसूजा ने कहा, "बीजेपी को सत्ता में आए डेढ़ नौ साल हो गए हैं और वे अभी तक यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक इंच भी आगे नहीं बढ़े हैं कि शेयरधारक हो जाए।" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ महिला को मेमोरियल बनाने की कोशिश है... पिछले डेढ़ नौ साल में सरकार ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उसमें एक महिला के लिए घर बनाए रखना मुश्किल हो गया है। सरकार विफल हो गई है और वह विफल हो गई है।" ''महिलाओं को स्मारक बनाने की कोशिश कर रही है।''
"पिछले साढ़े नौ साल में महिलाओं से जुड़े हर मुद्दे पर सरकार की असंवेदनशीलता का आकलन है, यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की बहुतायत दर पर भी गौर किया गया है।" महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सर्वश्रेष्ठ ऑर्केस्ट्रा करने का ज्वालामुखी पहली बार 1996 में एच.डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार की शुरुआत की गई थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया, जिसे आधिकारिक तौर पर संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) के रूप में शुरू किया गया। यह कानून 2010 में सागर द्वारा पारित किया गया था, लेकिन यह कानून 2010 में जारी नहीं किया गया और 2014 में यह समाप्त हो गया।
यहां तक कि समाजवादी पार्टी और वामपंथी प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के जेडीयू ने भी "कोटे के अंदर कोटा" की मांग करते हुए, स्थिर ब्रांड के बाजारों का विरोध किया है। प्रोटोटाइप का तर्क यह है कि बराक में अल्प, अल्प, अति अल्प और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कोटा प्रस्तावित किया जाना चाहिए। संवैधानिक होने संशोधन के कारण इस ज्वालामुखी को दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। यह 2014 में बीजेपी की घोषणा पत्र का भी हिस्सा है।
बता दें कि धनखड़ ने इस सप्ताह की शुरुआत में जयपुर के एक कॉलेज में "राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी" विषय पर एक कार्यक्रम में प्रदर्शन करते हुए कहा था कि जब तक महिलाओं को संविधान के माध्यम से संसद और विधानसभाओं में संशोधन नहीं मिल जाता, तब तक वह दिन दूर नहीं हैं। उनका "उचित प्रतिनिधि" बनेगा। उन्होंने कहा कि अगर ये जल्द ही मिल जाए तो 2047 से पहले भारत विश्व शक्ति बन जाएगा।
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