शीत युद्ध : ग्लोबल GDP को इस साल 1.6 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान
डिफेंस कंपनियों के शेयर भी चढ़े हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और चीन के कोविड लॉकडाउन ने पूरी दुनिया में सप्लाई चेन को बिगाड़ दिया है, जिससे ग्रोथ प्रभावित हो रही है और कई देशों में महंगाई 40 साल तक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में, इन्ही वजहों से साल 2022 में ग्लोबल जीडीपी के अनुमान में 1.6 लाख डॉलर की कटौती कर दी है।साथ ही उन्होंने आगे चलकर इसमें और इजाफा होने की आशंका जताई है। लड़ाई या कोई भी महामारी हमेशा नहीं जारी रहती। एक समय बाद इनका अंत जरूर होता है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि इस बार एक नई तीसरी समस्या पैदा होती दिख रही है, जो लंबे समय तक जारी रह सकती है
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का कहना है कि दुनिया भू-राजनीतिक कारणों से गुटों में बंटती हुई दिख रही है और यह आने वाले समय में और बढ़ता हुआ दिख रहा है। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अगर यह ऐसे ही जारी रहा, तो दुनिया कम उत्पादन और पहले से गरीब हो सकती है, जैसा चीन के वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) के शामिल होने से पहले था।अगर दुनिया को महंगाई और ग्रोथ के मोर्चे पर झटके मिलेंगे, तो यह शेयर या बॉन्ड मार्केट के लिए भी अच्छी खबर नहीं होगी। साल 2022 में अभी तक कमोडिटी की कीमतें काफी बढ़ी हैं, साथ ही उन कंपनियों के शेयर भी बढ़े हैं जो इनका उत्पादन या व्यपार करती हैं। इसके अलावा भू-राजनीतिक तनावों की वजह से डिफेंस कंपनियों के शेयर भी चढ़े हैं।
WTO के मुख्य अर्थशास्त्री रॉबर्ट कोपमैन कहते हैं, "गुटों में बंटना आगे भी जारी रहेगा।" वह एक "ग्लोबलाइजेशन के नए सिरे से संगठिन होने का अनुमान जता रहे हैं, जिसकी दुनिया को एक कीमत भी चुकाने पड़ सकती है। उन्होंने कहा, "हम पहले कम या मामूली लागत के उत्पादन का जितने बड़े स्तर पर इस्तेमाल कर पाते थे, अब नहीं कर पाएंगे।"