आप ही का सहारा चरागों को था, आंधियों की तरफ आप ही हो गए

Update: 2022-02-04 05:43 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

कांग्रेस संगठन में पैराशूटिए पदाधिकारियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस में हंगामा मचा हुआ है। जिलाध्यक्षों की शिकायत पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐसे सभी पदाधिकारियों को पदमुक्त करने का निर्देश दिए हैं जो दूसरे दलों से आए थे। मोर्चा-प्रकोष्ठों में ऐसे बहुत से नेता निशाने पर बताए जा रहे हैं। नाराज मूल कांग्रेसियों का कहना था कि हम लोग 15 सालों के संघर्ष में करते रहे है। सत्ता मिलते ही दूसरे दलों से आए लोग संगठन में पदाधिकारी बना दिए गए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, दूसरे दलों से आए लोगों का संगठन में पूरा सम्मान है, लेकिन उनको पदाधिकारी नहीं बनाना है। अगर लोग मोर्चा-प्रकोष्ठों में पदाधिकारी बन गए हैं तो उन्हें पदमुक्त किया जाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भैया छत्तीसगढ़ में तो जब से कांग्रेस सरकार आई है, दही लूट गोविंदा का खेल चल रहा है। सभी नेता छत्तीसगढ़ को गोकुल और वृंदावन समझ बैठे है। इसलिए सुबह से ही दूध-दही-मक्खन की लूट में निकल जाते है। और भैया है कि 2023 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सबको अहम ब्रम्ह कहकर समाहित कर लिए है। जय हो छत्तीसगढ़ महतारी कि जिसने माखन चोरों को भी माखन-मिश्री का स्वाद चखने का मौका दिया। इसी बात पर किसी शायर ने ठीक ही कहा है ये सियासत का बाजार भी खूब है कौन कब रंग बदले भरोसा नहीं, आप ही का सहारा चरागों को था, आंधियों की तरफ आप ही हो गए।

भूपेश सरकार की तारीफ

राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए न्याय योजना शुभारंभ अवसर पर छत्तीसगढ़ के विकास की प्रदर्शनी देखकर राहुल गांधी ने सीएम भूपेश बघेल की जमकर तारीफ की। छत्तीसगढ़ पहुंचे राहुल गांधी ने भाजपा, आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस देश की तरक्की किसानों-मजदूरों, कारीगरों की वजह से हुई है। जनता में खुसुर-फुसर है कि कका ने राहुल गांधी का विश्वास जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ा। कका ने मौका पर चौका मारकर विपक्षियों को चारों खाने चित्त कर दिया।

यूपी में दंगाई और नंगाई से कैसे बचेंगे मतदाता

यूपी में चुनावी सभाओं नेताओं की वाणी से फूल झर रहे है। हर पार्टी का नेता दूसरे पार्टी वाले को दंगाई और नंगाई वाला बता रहा है। कल्पना करें कि यूपी का मतदाता कैसे बच सकता है दंगाई और नंगाई से, चुनाव हो या न हो, यहां तो दबंगई और नंगानाच दस्तूर बन चुका है। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने मुजफ्फनगर में कहा कि मैं मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के लोगों से पूछना चाहता हूं कि क्या आप सब दंगों को भूल गए है क्या? अगर नहीं तो वोट डालने की गलती मत करना। नहीं तो फिर मुजफ्फरनगर फिर जल उठेगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि चुनाव आते ही हर नेता अपने आप को पाक साफ घोषित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता है। योगी हो या अखिलेश हो या और कोई नेता हो मतदाता के सबसे बड़े हितैषी बनकर खड़े हो जाते है। चुनाव के बाद फिर उसे भगवान भरोसे छोड़ देता है।

योगी और अखिलेश में चल रही तुलना

भाजपा और समाजवादी पार्टी में चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। हज हाउस और मानसरोवर भवन को लेकर बयान सामने आ रहे है। यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने समाजवादी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहाकि पिछली सरकार ने गाजियाबाद में हज हाउस बनाया तो बीजेपी की सरकार ने मानसरोवर भवन बनवाया है। कैलाश मानसरोवर में भवन आस्था की सौगात बताते हुए अखिलेश और सपा को पाकिस्तान समर्थक और जिन्ना का उपासक बताया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोई किसी का भी समर्थक या उपासक हो, उससे फर्क नहीं पड़ता, लेकिन योगी का राजनीति में मोदी समर्थक और उपासक होना सबको साफ दिखाई दे रहा है। यूपी की जनता चाहती है कि योगी कुछ यूपी के लिए भी सोचे तो लोगों का भला होगा।

टिकैत ने फिर साधा निशाना

ऐन चुनावी दौर में किसान नेता राकेश सिंह टिकैत पीएम मोदी पर निशाना साधा है कि 19 नवंबर को तीनों कृषि बिल वापस लेने के बाद भी अब तक एमएसपी और दूसरे मुद्दों के लिए केंद्र सरकार समिति का गठन नहीं कर पाई है। केंद्र सरकार ने कहा था कि वो एमएसपी के मुद्दे पर एक समिति गठित करेगी। लेकिन अभी तक कोई कमेटी नहीं बन पाई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पीएम मोदी अभी वोट पर एमएसपी बना रहे है, जब इससे फारिग हो जाएंगे, तब किसानों के लिए एमएसपी बनाने की सोचेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा यदि सरकार का यही रवैया रहा तो फिर आंदोलन की ओर मुड़ सकता है कदम।

ओबीसी और ब्राम्हणों साधने की जुगाड़

यूपी में दोनों प्रमुख दलों भाजपा और सपा में ओबीसी और ब्राम्हणों को साधने का खेल चल रहा है। दोनों पार्टियों के नेताओं की नजर में यो दोनों समाज सरकार बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते है।

भाजपा जहां हिन्दुत्व कार्ड चला रही है वहीं सपा वाले ओबीसी और ब्राम्हणों के शरणागत हो गए है। सपा अच्छी तरह जानती है कि भाजपा के हिन्दुत्व का काट ओबीसी और ब्राम्हण है जो सपा की नैया पार लगा सकते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ये नेता चुनाव के समय गिद्ध बन जाते है जहां-जहां आसानी से वोट मिलने की उम्मीद होती है वहीं पर निशाना साधते रहते है।

प्रकाशमुनि के आड़ में राजनीति

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का जज्बा स्वागत योग्य है, अगर यहीं जज्बा भाजपा शासनकाल में बना रहता तो आज दृश्य कुछ अलग ही होता। भाजपा नेताओं ने कबीर पंथ के गुरु प्रकाशमुनी के जमीन पर कब्जा को लेकर सियासी तीर दाग रहे है। बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने का आरोप है कि किसी की भी जमीन पर कांग्रेसी कब्जा कर अवैध निर्माण कर रहे हैं। भाजपा इसके विरोध में सड? पर उतरेगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बीजेपी राजनीतिक लाभ उठाने के लालायित है, भाजपा संत की जमीन को कब्जा मुक्त करने आंदोलन की चेतावनी दी है। यहीं काम भाजपा नेता अपने शासनकाल में गरीबों की जमीन को आगे आकर बचा लेते तो उन्हें सत्ता से बेदखल नहीं होना पड़ता। संतों को तो सांसरिकता के प्रयोजनों में उपयोग में आने वाले धन-दौलत-जमीन से मोह होना ही नहीं चाहिए, सबै भूमि गोपाल की कहावत को चरितार्थ करनी चाहिए, लेकिन ये कलयुग है जिसमें संत और गृहस्थ सामान रूप से मायावी दुनिया में लिप्त रहते है।  

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