रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जग्गी हत्याकांड मामले को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. इस मामले के 27 दोषी आज रायपुर जिला कोर्ट में सरेंडर करने वाले थे लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याहया ढेबर समेत 5 को राहत देते हुए सरेंडर के लिए तीन हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. जानकारी के मुताबिक एसवीएन भाटी की बेंच ने यह आदेश पारित किया है। राज्य गठन के बाद जून 2003 में हुए प्रदेश के पहले बहुचर्चित राजनैतिक रामवतार जग्गी हत्याकांड के पांच दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर पर राहत मिली है। इनमें याहया ढेबर, आरसी त्रिवेदी, एएस गिल, वी.के पांडे और सूर्यकांत तिवारी है। इन्हें तीन सप्ताह बाद सरेंडर करना होगा। वहीं शेष आरोपियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
शेष आरोपी अब से कुछ देर बाद न्यायाधीश पंकज सिन्हा की कोर्ट में सरेंडर कर सकते है। इनमें अभय गोयल समेत सभी 25 दोषी आरोपी सरेंडर कर सकते है । हत्या के 21 साल बाद हाईकोर्ट बिलासपुर ने निचली कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखा था। इनमें से एक विक्रम शर्मा बुलटू पाठक की मृत्यु हो गई है। शेष सभी आज रायपुर जिला कोर्ट में सरेंडर कर सकते है।
अन्य दोषियों चिमन सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, फिरोज सिद्दीकी, विनोद सिंह राठौड़, राकेश कुमार शर्मा उर्फ बब्बू, संजय सिंह कुशवाहा उर्फ चुन्नू, रविंद्र सिंह उर्फ रवि, राजू भदोरिया, नरसी शर्मा, सत्येंद्र सिंह, विवेक सिंह भदोरिया, लाला भदोरिया, सुनील गुप्ता, अनिल पचौरी, हरीश चंद्रा, सुरेश सिंह, अविनाश उर्फ लल्लन सिंह, जामबंद उर्फ बबलू, श्याम सुंदर उर्फ आनंद शर्मा, विनोद सिंह उर्फ बादल, विश्वनाथ राजभर, अशोक सिंह भदोरिया, राकेश चंद्र त्रिवेदी के साथ शामिल हैं।
नहीं बढ़ी सुरक्षा पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के फैसले के बाद पुत्र सतीश जग्गी और उनकी मां ने राज्य सरकार से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अब तक इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। सतीश को केवल एक पीएसओ की सुरक्षा मिली हुई है। बता दें कि लोवर कोर्ट ने इस मामले के सभी 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद इन सभी ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. 4 अप्रैल को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने लोअर कोर्ट के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा और कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे. ये सभी अब तक जमानत पर बाहर थे।
4 जून 2003 को एनसीपी नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे, जिनमें से दो विक्रम शर्मा उर्फ बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे. 29 आरोपितों पर केस चला। इस मामले के मुख्य आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को छोड़कर शेष 27 आरोपितों को उम्रकैद की सजा हुई थी। उम्रकैद की सजा पाने वालों में 2 तत्कालीन CSP और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह भी शामिल हैं।